मजदूरों के पलायन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए यह आदेश

सुप्रीम कोर्ट में आज पलायन मजदूरों की सुनवाई हुई, इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को 24 घंटे के अंदर एक कमेटी गठित करने को कहा है।
मजदूरों के पलायन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिए यह आदेश
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राज एक्सप्रेस। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के पलायन की सुनवाई का मामला देश की सर्वोच्च न्यायालय या कहे सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है, इस मामले पर आज दूसरी बार सुनवाई हुई हैं। वहीं, केंद्र की ओर से कोर्ट में रिपोर्ट दायर कर कोरोना और पलायन को रोकने के लिए किए जा रहे इंतजाम के बारे में बताया गया।

रिपोर्ट में सरकार ने बताया :

सरकार द्वारा यह बताया कि, 6 लाख 63 हज़ार लोगों को आश्रय दिया गया व 22 लाख 88 हज़ार लोगों तक भोजन और दूसरी ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, अब कोई भी सड़क पर नहीं है।

हमारे देश ने सौभाग्य से प्रीमेक्टिव और निवारक कदम उठाए हैं। नए वायरस के बारे में जानकारी 5 जनवरी 2020 को सामने आई, हमने 17 जनवरी 2020 से तैयारी शुरू कर दी, दूसरे देशों ने जो किया, हमने उससे बहुत आगे कदम बढ़ाया, हमने भारत में किसी भी मामले का पता लगाने से पहले दूसरे देशों से लौटने वाले व्यक्तियों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू की।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता

24 घंटे में एक्सपर्ट कमेटी के गठन का आदेश :

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोवडे ने 24 घंटे में एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन किये जाने का आदेश दिया है और कहा कि, इस कमेटी का गठन स्वास्थ्य मंत्रालय करेगा। साथ ही यह भी कहा कि, जिन लोगों को पलायन करने से रोका है, उन सभी को भोजन, आश्रय, पोषण और चिकित्सा सहायता के मामले में ध्यान रखा जाए, आप उन लोगों को भी फॉलो करेंगे, जिनकी आपने पहचान की है और जिन्हें क्वारन्टीन किया गया है।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में यह भी कहा, लोगों पर स्प्रे सैनिटाइजेशन का सही तरीका नहीं है। CJI ने ये भी कहा कि, गर्मी आ रही है भोजन, दवाई का प्रबंध रखा जाए। इस मामले पर अब अगले मंगलवार को फिर से सुनवाई की जाएगी।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि, सरकार 24 घंटे के अंदर प्रवासियों और शेल्टर होम में रखे गए लोगों से बात करने के लिए सामुदायिक और धार्मिक नेताओं को तैयार करे व प्रशिक्षित काउंसलर भी भेजे जाएं यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी डर को रोका जाए। आप इसके लिए भजन, कीर्तन, नमाज या जो कुछ भी कर सकते हैं करें, लेकिन आप लोगों को मजबूत बनाना है।

केंद्र सरकार के वकील ने कहा :

केंद्र सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा- फेसबुक, ट्विटर, टिकटॉक सहित सोशल मीडिया के माध्यम से गलत सूचना को रोकने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि, आपकी रिपोर्ट कहती है कि आपने लोगों के सवालों के जवाब के लिए एक व्हाट्सएप चैटबॉक्स लॉन्च किया है। क्या यह कार्य कर रहा है? इसका जवाब देते हुये सरकार के वकील ने कहा कि, "हमने इसे लॉन्च किया है, यह परीक्षण के चरण में है लेकिन हम इसे बढ़ा रहे हैं।"

कोर्ट ने पूछे यह सवाल :

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि, आप प्रेस ब्रीफिंग क्यों नहीं करते और इसे डीडी और अन्य चैनलों पर प्रसारित किया जाए।

कोर्ट ने यह भी पूछा कि, फेक न्यूज फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कारवाई क्यों नहीं हुई? आपने हमें नकली समाचारों के बारे में बताया कि, आप कैसे नियंत्रित करेंगे। क्या आपके पास किसी भी अधिनियम के तहत कोई शक्तियां हैं, जिनके द्वारा आप लोगों को नकली खबरें फैलाने के लिए दंडित कर सकते हैं? अगर आप फर्जी खबरों से इतने परेशान हैं, तो आप लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते? केंद्र ने कहा कि तैयारियों के कारण प्रसार होने में रोकने में सक्षम हो पाए।

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