सुप्रीम कोर्ट की हिजाब विवाद मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की हिजाब विवाद मामले की सुनवाईSocial Media

ईरान में हो रहे विरोध की बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट की हिजाब विवाद मामले की सुनवाई

कई दिनों से चर्चा का विषय बने हुए हिजाब विवाद मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की आठवें दिन सुनवाई हुई। यह सुनवाई सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता द्वारा की गई।

कर्नाटक, भारत। कई दिनों से चर्चा का विषय बने हुए हिजाब विवाद मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की आठवें दिन सुनवाई हुई। यह सुनवाई सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता द्वारा की गई। उन्होंने इस मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक सरकार द्वारा दिए गए ईरान में विरोध वाले उदहारण की बात करते हुए मामले की सुनवाई की है।

हिजाब मामले पर हुई सुनवाई :

दरअसल, आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता हिजाब मामले पर बोले कि, 'हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कुछ ऐसे इस्लामिक देश हैं, जहां हिजाब का विरोध हो रहा है और महिलाएं इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं।' इसके बाद कोर्ट की तरफ से पूछा गया कि, 'किस देश में हिजाब का विरोध हो रहा है?' इस पर SG मेहता बोले- 'ईरान में। इससे साबित होता है कि हिजाब पहनना इस्लाम में जरूरी नहीं है।'

कर्नाटक सरकार का कहना :

कर्नाटक सरकार ने ईरान में महिलाओं के हिजाब विरोधी प्रदर्शनों का हवाला देते हुए मंगलवार को कहा कि, ड्रेस कोड लागू करने वाले शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के खिलाफ उसका आदेश बोलने के अधिकार का उल्लंघन नहीं है और इस्लाम में हिजाब धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है। उधर महाधिवक्ता तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत की पीठ को बताया, "ऐसे उदाहरण हैं जहां ईरान जैसे इस्लामी देशों में महिलाएं हिजाब के खिलाफ लड़ रही हैं। इसलिए, यह एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है। कुरान में एक उल्लेख इसे आवश्यक नहीं बना देगा, यह एक अनुमेय या आदर्श अभ्यास हो सकता है, लेकिन आवश्यक नहीं है।"

शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया :

कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल मेहता ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की शीर्ष अदालत की पीठ के समक्ष ये प्रस्तुतियां दी। यह पीठ कर्नाटक सरकार के आदेश के पक्ष में कर्नाटक उच्च न्यायालय के मार्च के फैसले के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। हिजाब समर्थक याचिकाकर्ताओं ने कई आधारों पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया और तर्क दिया है कि पोशाक का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीने के अधिकार का हिस्सा है।

क्यों हो रहा ईरान में विरोध :

जानकारी के लिए बता दें, ईरान में महसा अमिनी की मौत के बाद से ही हिजाब के विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जब उसे तेहरान में नैतिकता पुलिस द्वारा पीटा गया था और हिजाब न पहनने के कारण हिरासत में लिया गया था। इस 22 वर्षीय महिला की 16 सितंबर को अस्पताल में मौत हो गई थी। उधर भारत में कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद इस मामले के लिए अगली सुनवाई को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

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