SC का ऐतिहासिक फैसला-पिता की संपत्ति पर बेटों के बराबर बेटियों का भी हक

सुप्रीम कोर्ट ने ने बेटियों के हक में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा-बेटियां हमेशा बेटियां रहती हैं, बेटे तो बस विवाह तक ही बेटे रहते हैं। अब पैतृक संपत्ति में बेटियों को बेटों के बराबर हिस्सा मिलेगा।
SC का ऐतिहासिक फैसला-पिता की संपत्ति पर बेटों के बराबर बेटियां का भी हक
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दिल्‍ली, भारत। हिंदुस्तान में कानून और मान्यताएं ये दोनों ही अलग-अलग है, लेकिन कभी-कभी कुछ कानून लागू होने जाने के बावजूद भी सदियों पुरानी मान्‍यताएं खासकर बेटियों के लिए चलती रहती हैैं। इन परंपराओं में से एक ये प्रथा भी चली आ रही है कि, शादी के बाद बेटियां पराई हो जाती हैं और अपने पिता की संपत्ति पर बेटियों का हक कम बेटों का ज्‍यादा होता हैै, इसी के चलते बेटियों के हक में देश की सर्वोच्‍च न्‍यायलय ने इसको लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

पैतृक संपत्ति पर बेटियों का भी बराबरी से हक :

बीते दिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के हक में ये अहम फैसला सुनाया है कि, ''अब बेटियों को भी पिता या पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार माना जाएगा है, पिता की संपत्ति पर बेटियों को भी बराबरी से हक मिलेगा।'' जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के फैसले में साफ कहा गया है कि, ये उत्तराधिकार कानून 2005 में संशोधन की व्याख्या है।

कोर्ट द्वारा की गई अहम टिप्पणियां :

  • बेटियां तो हमेशा बेटियां रहती हैं, बेटे तो बस विवाह तक ही बेटे रहते हैं। यानी 2005 में संशोधन किए जाने से पहले भी किसी पिता की मृत्यु हो गई हो तब भी बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटे या बेटों के बराबर ही हिस्सा मिलेगा।

  • 5 सितंबर 2005 को संसद ने अविभाजित हिंदू परिवार के उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया था, इस संशोधन के ज़रिए बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार माना था, ऐसे में 9 सितंबर 2005 को ये संशोधन लागू होने से पहले भी अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो और संपत्ति का बंटवारा बाद में हो रहा हो तब भी हिस्सेदारी बेटियों को देनी होगी।

  • सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा- कानून इस बात की गारंटी देता है कि बेटियां जन्म से ही साझीदार होंगी। उन्हें वे तमाम अधिकार और दायित्व होंगे जो बेटे को जन्म से होते हैं। पैतृक संपत्ति में बेटी को हिस्सा देने से इस आधार पर इंंकार नहीं किया जा सकता कि उसका जन्म 2005 में बने कानून से पहले हुआ है। बेटियों को संपत्ति में क्या-क्या अधिकार हैं ये जानना जरूरी है।

बता दें कि, साल 1985 में जब एनटी रामाराव आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस समय उन्होंने पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर की हिस्सेदारी का कानून पास किया था। इसके ठीक 20 साल बाद संसद ने 2005 में पूरे देश भर के लिए पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर बेटों के बराबर हिस्सेदार मानने का कानून पास किया, ये मामला बहन भाइयों के बीच संपत्ति के बंटवारे का था।

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