लॉकडाउन में कर्मचारियों की सैलरी कटौती पर SC के फैसले का इंतजार

लॉकडाउन अवधि में नौकरियों से कर्मचारियों को निकाले जाने या सैलरी कटौती के खिलाफ देश में शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर हुई, कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है और इस मामले में 12 जून को फैसला आएगा।
लॉकडाउन में कर्मचारियों की सैलरी कटौती पर SC के फैसले का इंतजार
लॉकडाउन में कर्मचारियों की सैलरी कटौती पर SC के फैसले का इंतजारSocial Media

दिल्ली, भारत। देश में शीर्ष न्यायालय में किसी न किसी मामले को लेकर याचिक दायर होती है और अब इस बार सुप्रीम कोर्ट में लॉकडाउन अवधि में निजी कंपनियों व फैक्ट्रियों आदि में नौकरी करने वाले से कर्मचारियों को निकाले जाने या सैलरी कटौती के खिलाफ याचिका दायर हुई है, फिलहाल अभी कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सुप्रीम कोर्ट 12 जून को सुनायेगा फैसला :

सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन की अवधि का पूरा वेतन कर्मचारियों को दिये जाने के केंद्र के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को इस फैसले को सुरक्षित रख लिया और कहा कि, 12 जून को आदेश सुनाये जाने तक संबंधित नियोक्ताओं के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जायेगी, 12 जून को सुप्रीम कोर्ट सुनायेगा फैसला। तबतक किसी कम्पनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।

बताया गया है कि, ''न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने सभी संबंधित पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।'' साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि, 12 जून को इस मामले में फैसला सुनाये जाने तक गृह मंत्रालय के 29 मार्च के आदेश पर अमल न करने को लेकर नियोक्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।

SC में सरकार ने कहा :

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा है कि, ''जब लॉकडाउन शुरू हुआ था, तब कर्मचारियों के काम वाली जगह छोड़कर गृहराज्यों की ओर पलायन को रोकने के लिए अधिसूचना जारी की थी, लेकिन अंततः ये मामला कर्मचारियों और कंपनी के बीच का है और सरकार इसमे दखल नहीं देगी।''

याचिकाकर्ता का कहना :

दरअसल, याचिकाकर्ता का ये कहना है कि, लॉकडाउन में कामकाज बिलकुल ठप पड़ा है, कोई कमाई नहीं है, जेबें खाली पड़ी हैं, कारोबार चला पाना संभव नहीं है, ऐसे में स्टाफ की सैलरी कहां से दें। वहीं अन्य याचिका कई उद्योगों की तरफ से दाखिल हुई, जिसमें कहा गया था कि आवश्यक सेवा से जुड़े उद्योगों को लॉकडाउन में काम करने की इजाजत दी गई, लेकिन सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के केंद्र सरकार के आदेश का फायदा उठाकर ज्यादातर कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं, ऐसे में कोरोना के दौरान पहले से संकट का सामना कर रहे उद्योगों को उन्हें पूरा वेतन देने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।

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