Manish Sisodia Snooping Case : शराब घोटाले के बाद अब जासूसी कांड में फंसे मनीष सिसोदिया, क्या है पूरा मामला?
Manish Sisodia Snooping Case : दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दिल्ली के कथित शराब घोटाले में पहले से ही जेल में बंद मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने एक और केस दर्ज कर लिया है। दरअसल यह पूरा मामला दिल्ली सरकार की 'फीडबैक यूनिट' से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने इस मामले में मनीष सिसोदिया सहित सात लोगों को आरोपी बनाया है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर यह पूरा मामला क्या है?
'फीडबैक यूनिट' क्या है?
दरअसल साल 2015 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले सरकारी विभागों, संस्थाओं और स्वतंत्र संस्थानों पर नजर रखने के लिए फीडबैक यूनिट (एफबीयू) बनाई थी। इसका काम इन संस्थाओं की निगरानी करके सरकार को प्रभावी फीडबैक देना था, ताकि सरकार कामकाज को लेकर जरूरी एक्शन ले सके।
सिसोदिया पर क्या है आरोप?
बता दें कि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग करके फीडबैक यूनिट को बनाया। उन्होंने फीडबैक यूनिट में 17 पूर्व रिटायर्ड अफसरों को नियुक्त करने से पहले प्रशासनिक सुधार विभाग और एलजी की मंजूरी नहीं ली थी। इसके अलावा सिसोदिया पर यह भी आरोप है कि उन्होंने फीडबैक यूनिट का इस्तेमाल करके विपक्षी दलों के नेताओं की जासूसी भी करवाई थी।
कैसे सामने आया मामला?
दरअसल साल 2016 में विजिलेंस डिपार्टमेंट में कार्यरत एक अफसर ने फीडबैक यूनिट को लेकर सीबीआई से शिकायत की थी। इसके बाद सीबीआई ने गुप्त रूप से इस मामले की जांच शुरू कर दी थी। जांच के बाद 12 जनवरी 2023 को सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए मनीष सिसोदिया सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी। इस रिपोर्ट को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल की अनुशंसा पर गृह मंत्रालय ने सीबीआई को केस दर्ज करने की अनुमति दे दी।
सीबीआई की जांच में क्या-क्या?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीबीआई के द्वारा की गई शुरूआती जाँच में सामने आया है कि फीडबैक यूनिट ने राजनीतिक जानकारियां जुटाई हैं। फीडबैक यूनिट द्वारा की गई कुल जाँच में से 60 फीसदी राजनीतिक निकली। इन जाँचों का सरकार के काम-काज से कोई लेना देना नहीं था। इसके अलावा सीबीआई की जांच में यह भी सामने आया है कि फीडबैक यूनिट को बनाने से सरकारी खजाने को करीब 36 लाख रूपए का नुकसान हुआ है।
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