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जानिए भाजपा-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए क्यों साख की लड़ाई बन गया है MCD चुनाव?

चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए अपना दमखम दिखाने के लिए तैयार है।

राज एक्सप्रेस। दिल्ली चुनाव आयोग ने दिल्ली में होने वाले एमसीडी चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। दिल्ली चुनाव आयोग के अनुसार एमसीडी चुनावों के लिए 7 नवंबर से नामांकन की प्रकिया शुरू होगी, जबकि 14 नवंबर नामांकन जमा करने का आखिरी दिन होगा। उम्मीदवार 19 नवंबर तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे। 4 दिसंबर को मतदान होगा जबकि 7 दिसंबर को नतीजों का ऐलान होगा। तारीखों की घोषणा के साथ ही भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए अपना दमखम दिखाने के लिए तैयार हैं। अरविंद केजरीवाल ने तो पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद ही एमसीडी चुनाव को मुद्दा बनाना तक शुरू कर दिया था। ऐसे में आज हम यह जानेंगे कि आखिर सभी पार्टियों के लिए एमसीडी चुनाव इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

एमसीडी क्या है?

एमसीडी यानी दिल्ली नगर निगम में 250 वार्ड हैं। एकीकरण से पहले दिल्ली नगर निगम ईस्ट, नॉर्थ और साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कारपोरेशन में बंटी हुई थी। उस समय दिल्ली में कुल 272 वार्ड थे, लेकिन एकीकरण के बाद वार्डों की संख्या घटकर 250 रह गई। दिल्ली में अस्पताल, स्कूल, सड़क, डिस्पेंसरीज, पानी की सप्लाई, ड्रेनेज सिस्टम की देखभाल, बाजारों की देखरेख, पार्कों का प्रबंधन, कचरे का निस्तारण, स्ट्रीट लाइट, प्रॉपर्टी, प्रोफेशनल टैक्स कलेक्शन, टोल टैक्स कलेक्शन, जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र सहित कई महत्वपूर्ण कार्य दिल्ली नगर निगम ही करती है।

एमसीडी क्यों है महत्वपूर्ण?

बता दें कि दिल्ली एमसीडी का कुल बजट 15 हजार करोड़ से ज्यादा का है। सड़क निर्माण, स्कूल और टैक्स कलेक्शन इसकी आय का मुख्य जरिया है। इसके अलावा एमसीडी को दिल्ली सरकार से भी खर्च के लिए पैसा मिलता है। इस तरह से एमसीडी के जरिए पार्टियां बड़ी आबादी के हितों जुड़े काम कर सकती है। इसके जरिए पार्टियां लोगों से सीधे जुड़ सकती है। यही कारण है कि तीनों ही प्रमुख पार्टियों के बीच एमसीडी पर कब्जे की होड़ मची हुई है।

साख की लड़ाई :

आम आदमी पार्टी के आने से पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच एमसीडी चुनाव दिल्ली विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जाता था। आम आदमी पार्टी पिछले 8 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है, लेकिन एमसीडी चुनाव में उसका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा पिछले 15 सालों से एमसीडी की सत्ता पर काबिज है। ऐसे में भाजपा और आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव साख की लड़ाई बन चुका है। साथ ही कांग्रेस भी एमसीडी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करके अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने की कोशिश करेगी।

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