कांग्रेस नेताओं ने सोनिया को पत्र भेज की परिवार के मोह से ऊपर उठने की अपील

कांग्रेस नेताओं ने फिर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर कहा-पार्टी को महज 'इतिहास' का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें और परिवार के मोह से ऊपर उठकर काम करने की अपील की गई है।
कांग्रेस नेताओं ने सोनिया को पत्र भेज की परिवार के मोह से ऊपर उठने की अपील
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दिल्‍ली, भारत। देश में कोरोना जैसी महामारी के काल के बीच साल 1885 में बनी देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस वक्त सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, अब कांग्रेस पार्टी के ही नेताओं ने एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी को लेटर भेजा है।

परिवार के मोह से उठकर काम करने की अपील :

हालांकि, इस बार ये लेटर उत्तर प्रदेश से पिछले साल पार्टी से निष्कासित हुए 9 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वह पार्टी को महज 'इतिहास' का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें। साथ ही उनसे परिवार के मोह से ऊपर उठकर काम करने की अपील की गई है।

पत्र लिखने वाले कांग्रेस नेताओं का कहना :

यूपी के पूर्व सांसद संतोष सिंह, पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, पूर्व विधायक विनोद चौधरी, भूधर नारायण मिश्रा, नेकचंद पांडे, स्वयं प्रकाश गोस्वामी और संजीव सिंह के दस्तखत वाले लेटर में कहा गया है कि, ''कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। यूपी की प्रभारी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए चार पन्नों के पत्र में सोनिया गांधी से परिवार से ऊपर उठने का आग्रह किया गया है।''

लेटर में लिखा-

परिवार के मोह से ऊपर उठें और पार्टी की लोकतांत्रिक परंपराओं को फिर से स्थापति करें। इस बात की आशंका है कि, आपको राज्य मामलों के प्रभारी द्वारा मौजूदा स्थिति से अवगत नहीं कराया जा रहा है। हम लगभग एक साल से आपसे मिलने के लिए अपॉइंटमेंट की मांग कर रहे हैं, लेकिन मना कर दिया जाता है। हमने अपने निष्कासन के खिलाफ अपील की थी, जो अवैध था, लेकिन केंद्रीय अनुशासन समिति को भी हमारी अपील पर विचार करने का समय नहीं मिला।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आगे दावा किया कि, ''पार्टी के पदों पर उन लोगों का कब्जा है जो वेतन के आधार पर काम कर रहे हैं और पार्टी के प्राथमिक सदस्य भी नहीं हैं। पत्र में कहा गया है कि ये नेता पार्टी की विचारधारा से परिचित नहीं हैं, लेकिन उन्हें यूपी में पार्टी को दिशा देने का काम सौंपा गया है।''

लेटर में आगे ये भी कहा गया, ''ये लोग उन नेताओं के प्रदर्शन का आंकलन कर रहे हैं जो 1977-80 के संकट के दौरान कांग्रेस के साथ चट्टान की तरह खड़े थे। लोकतांत्रिक मानदंडों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, अपमानित किया जा रहा है और निकाला जा रहा है। वास्तव में, हमें मीडिया से हमारे निष्कासन के बारे में पता चला था, जो राज्य इकाई में नई कार्य संस्कृति की बात करता है।''

पत्र में आरोप लगाया गया है कि, ''नेताओं और पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच संवाद की कमी है। इन्होंने आगे कहा कि यूपी में एनएसयूआई और युवा कांग्रेस निष्क्रिय से हो गए हैं। नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान से वरिष्ठ नेताओं के साथ संवाद को बढ़ावा देने का आग्रह किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यह मौजूदा मामलों की ओर आंख मूंद लेता है, तो कांग्रेस को यूपी में तगड़ा नुकसान होगा, जो कभी पार्टी का गढ़ हुआ करता था।''

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