सहारनपुर : कोल्हुओं की हलचल शुरू, फिज़ा में फैलने लगी गुड़ की महक
सहारनपुर : कोल्हुओं की हलचल शुरू, फिज़ा में फैलने लगी गुड़ की महकSocial Media

सहारनपुर : कोल्हुओं की हलचल शुरू, फिज़ा में फैलने लगी गुड़ की महक

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्वादिष्ट जायके और मन को मोहने वाली खुशबू से भरे गुड़ को बनाने का काम तेजी के साथ शुरू हो गया है।

सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्वादिष्ट जायके और मन को मोहने वाली खुशबू से भरे गुड़ को बनाने का काम तेजी के साथ शुरू हो गया है। चीनी मिलों ने भी पेराई सत्र की शुरूआत करने की तैयारी करना शुरु कर दिया है। बारिश के कारण चीनी मिलों का पेराई सत्र नवंबर के पहले हफ्ते में जाकर शुरू हो सकता है। तब तक किसानों की मजबूरी कोल्हुओं पर ही गन्ना बेचने की बनी रहेगी। कोल्हुओं पर गन्ना डालने वाले किसानों का कहना है कि सरकारी भाव 325 रुपये रूपए प्रति क्विंटल से इतर कोल्हुओं पर अभी 230 रुपये से 260 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। छोटे किसान मजबूरी में कोल्हुओं पर लुटने-पिटने को विवश हैं। गुड़ बनने का सीजन अक्टूबर माह में शुरू होकर अप्रैल-मई तक चलता हैं। सहारनपुर जिले में बड़ी तादाद में कोल्हू का व्यवसाय कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो गया है।

थोड़ी सी पूंजी में ही लोग हर साल इस कारोबार को शुरू कर देते हैं। जब तक चीनी मिलों पर पेराई शुरू होती है, तब तक कोल्हू संचालक सस्ते भाव पर गन्ना खरीद कर अपनी चांदी काट लेते हैं। देवबंद-नानौता सड़क मार्ग पर दोनों ओर बड़गांव और महेशपुर के आसपास डेढ़ दर्जन कोल्हुओं पर गुड़ और शक्कर बननी शुरू हो गई है। तैयार गुड़ और शक्कर की बिक्री के लिए मुजफ्फरनगर की प्रसिद्ध गुड़ मंडी सबसे बड़ा केंद्र है। कोल्हू संचालकों का दावा है कि 8-9 माह कोल्हू चलाकर पूरे साल की कमाई आसानी से हो जाती है। सहारनपुर मंडल के अनेक गांवों से गुड़ बनाने वाले कारीगरों ने महाराष्ट्र के पुणे शहर की ओर रवानगी शुरू कर दी है। जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुड़ कारीगर अपने हुनर से अच्छी-खासी आय कर लेते हैं। गुड़ और शक्कर का राजस्थान और गुजरात में भी बड़ा बाजार है।

कुछ इलाकों में गुड़ से देशी शराब भी बनाने का धंधा बड़े पैमाने पर विकसित हो चुका है। सहारनपुर जिले में गन्ने पर आधारित क्रशर और खांडसारी व्यवसाय ठप्प हो गया है। हालांकि योगी सरकार ने खांडसारी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कारोबारियों को बहुत सी सहूलियतें प्रदान की हैं, लेकिन जैसे सहारनपुर में चावल के सेलर समाप्त हुए वैसे ही खांडसारी उद्योग भी समाप्ति की ओर है। ये दोनों व्यवसाय इस जिले में कारोबारियों की तिजोरियां भरने में बड़ा योगदान देते थे। इससे किसान और मजदूरों की भी पौ-बारह रहती थी और राज्य सरकार को भी कर राजस्व के रूप में मोटी धनराशि मिलती थी।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com