राष्ट्रपति मुर्मू ने गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
हाइलाइट्स :
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज उत्तराखंड के पंतनगर पहुंची
राष्ट्रपति गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह में हुई शामिल
दलहनी फसलों की 21 प्रजातियाँ विकसित की हैं: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
उत्तराखंड, भारत। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के पंतनगर में गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ने कहा, आज मंच पर पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या अधिक थी। यह trend मैं अन्य संस्थानों में भी देखती हूं। यह सुखद बदलाव विकास पथ पर बढते हुए भारत का दर्शन है। मैं बेटियों को उनकी उपलब्धि के लिए विशेष बधाई देती हूँ। पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय को एक उत्कृष्ट Brand के रूप में जाना जाता है। नोबेल पुरस्कार विजेता डॉक्टर नार्मन बोरलॉग ने पन्तनगर विश्वविद्यालय को ‘Harbinger of Green Revolution’ का नाम दिया था। नॉर्मन बोरलॉग द्वारा विकसित Mexican गेहूं की किस्मों का यहाँ परीक्षण किया गया था। प्रयोगशाला के रूप में इस विश्वविद्यालय ने green revolution की सफलता में प्रभावी भूमिका निभाई है।
G. B. Pant विश्वविद्यालय ने कृषि शिक्षा, शोध व प्रसार के कार्यों में विश्वस्तरीय योगदान दिया है। मुझे बताया गया है कि देश के विभिन्न कृषि संस्थानों ने हाल ही में disease resistant दलहनी फसलों की 21 प्रजातियाँ विकसित की हैं जिनमें से 7 प्रजातियाँ पन्तनगर विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
गोविन्द बल्लभ पन्त विश्वविद्यालय पिछले 6 दशकों से Agricultural extension के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान कर रहा है। विभिन्न climate resilient technologies के माध्यम से ग्रामीण समुदाय को सहायता प्रदान की जा रही है। Sustainable agriculture की दिशा में विश्वविद्यालय के ये प्रयास प्रशंसनीय हैं।
आज climate change और soil degradation जैसी समस्याओं से निपटने के लिए दुनिया प्राकृतिक और जैविक खेती की ओर बढ़ रही है।
पूरा विश्व इस वर्ष को International Year of Millets के रूप में मना रहा है। उत्तराखण्ड millets के उत्पादन में अग्रणी राज्य है। Millets को हमारी food habits में प्राथमिकता प्रदान करने में इस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों व संकाय सदस्यों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
शिक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर हो रहे तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ सामंजस्य की आवश्यकता है। शिक्षण संस्थानों को industry ready स्नातक तैयार करने चाहिए जो रोजगार पैदा कर सकें और technology driven world में प्रतिस्पर्धा कर सकें। आप सब विद्यार्थी देश दुनिया में जहां भी काम करें, अपने विश्वविद्यालय और इस क्षेत्र को हमेशा याद रखिए।
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