चंद्रयान-2 बढ़ा एक कदम ओर आगे, किया लैंडर 'विक्रम' को ऑर्बिटर से अलग

नई दिल्ली : अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने लिए 2 सितंबर का दिन बेहद अहम है, क्योंंकि 'चंद्रयान-2 मिशन' भारत के सपनों में पंख लगाकर एक कदम और आगे बढ़ गया है।
लैंडर 'विक्रम' ऑर्बिटर से अलग
लैंडर 'विक्रम' ऑर्बिटर से अलगNeha Shrivastava - RE

राज एक्सप्रेस। भारत का स्पेस मिशन चंद्रयान-2 सपनों के पंख लगाकर हर रोज अपने अभियान की दिशा में सफलतापूर्वक कदम बढ़ाते हुए आगे बढ़ता चला जा रहा है, साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों के लिए 2 सितंबर का दिन बेहद अहम है, क्योंकि 'चंद्रयान-2' मिशन के तहत ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर सफलतापूर्वक अलग हो गया है।

किस समय ऑर्बिटर से अलग हुआ विक्रम :

ISRO के मुताबिक, 'चंद्रयान-2' सैटेलाइट अपने मिशन के तहत ऑर्बिटर से लैंडर 'विक्रम' के अलग होने की प्रक्रिया दोपहर 12.45 बजे से शुरू हुई थीं, इसके बाद 'चंद्रयान-2' दोपहर के 01 बजकर 15 मिनट पर दो हिस्‍सों में बंट गया यानी लैंडर 'विक्रम' ऑर्बिटर से अलग हो गया। बताते चले कि, 'चंद्रयान-2' के इस पूरे मिशन में सबसे मुश्किल काम लैंडर 'विक्रम' का ऑर्बिटर से अलग होना ही था, साथ ही चाँद की सतह पर लैंड करना भी एक मुश्किल काम है।

क्‍या हैं ऑर्बिटर और विक्रम :

'चंद्रयान-2' के मिशन में ऑर्बिटर और विक्रम का अपना अलग-अलग अहम रोल है, ऑर्बिटर चंद्रमा की परिक्रमा करता रहेगा, तो वहीं लैंडर विक्रम 7 सितंबर, 2019 को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंड करेगा। लैंडर 'विक्रम' का नाम भारत के अंतरिक्ष मिशन के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।

क्‍या हैं विक्रम लैंडर की अगली प्रोसेस :

विक्रम लैंडर में अत्‍याधुनिक उपकरण लगे हुए हैं, जो चाँद पर कई सारे अहम शोध करेंगे। 'विक्रम' लैंडर के चाँद की सतह पर उतरने के बाद इसके अंदर से प्रज्ञान नाम का रोवर बाहर निकलेगा और यह रोवर अपने 6 पहियों पर चलकर चाँद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा एवं इससे जुड़ी जानकारियां धरती तक भेजेगा।

चंद्रयान-2 कब हुआ लॉन्‍च:

भारत का महत्वाकांक्षी मिशन 'चंद्रयान-2' जुलाई माह की 22 तारीख को लॉन्‍च हुआ था, जिसका कुल वजन 3.8 टन (3,850 किलोग्राम) है। वैसे आप इस समय चंद्रयान व चंद्रयान– 2 का जिक्र बहुत बार सुन रहे होंगे कि, अंतरिक्ष में 'चंद्रयान- 2' क्या करेगा और क्या है ये 'चंद्रयान– 2' मिशन।

क्‍या करेगा चंद्रयान- 2 :

वर्ष 2008 में जब भारत ने 'चंद्रयान-1' मिशन के अलावा कई और मिशन द्वारा खोज की गई तो यह ज्ञात हुआ कि, चाँद की सतह पर पानी है। इसके बाद भारत ने अपना एक और मिशन 'चंद्रयान- 2' को अंति‍रिक्ष में भेजा, जो चाँद पर पानी की खोज करेगा। वैसे चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर आजतक कोई लैंडिग नहीं हुई हैं। 'चंद्रयान- 2' भारत का ऐसा पहला यान है जो, चाँद की सतह पर उतरेेेेगा, ये भारत के लिए एक कामयाबी जरूर है, लेकिन जब तक ये चाँद की सतह पर उतर नहीं जाता तब तक चुनौती बरकरार है और अगर सब कुछ ठीक रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, साथ ही अंतरिक्ष इतिहास में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बनने की उपलब्धि भी अपने नाम कर लेगा।

7 सितंबर को रचेगा इतिहास :

ISRO द्वारा, लैंडर विक्रम के चाँद पर उतरने से पहले अभी वह चंद्रमा की दो और कक्षाओं में प्रवेश करेगा। इसके बाद 7 सितंबर को लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग चाँद की सतह पर करवाई जाएगी। भारत का महत्वाकांक्षी 'चंद्रयान- 2' मिशन आगामी 7 सितंबर को चाँद पर उतरकर इतिहास रचेगा।

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