उत्तर प्रदेश : एकता की मिसाल कायम करते हुए रिन्द नदी पर बना डाला पुल
उत्तर प्रदेश। यदि कोई काम पूरी सिद्दत से एकता (Unity) के साथ किया जाए तो, उस काम को होने से कोई नहीं रोक सकता। यह कहावत तो अपने सुनी ही होगी। ऐसा कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के उदयापुर गांव के कुछ लोगों ने। दरअसल, उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के उदयापुर गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है। इस मामले के तहत गांव के कुछ लोग ने मिलकर पुल निर्मित कर दिया। जो, एकता की बहुत बड़ी मिसाल है।
लोगों ने बना डाला पुल :
आपने कई बार बहुत सी जगह पुल के कंस्ट्रक्शन का काम होते देखा होगा। यदि आपने देखा होगा तो अपने ध्यान दिया होगा कि, वहां बहुत से लोग एक साथ काम करते हैं, लेकिन उनकी मदद करने के लिए वहां सीमेंट घोलने की मशीन, JCB जैसी कई तरह की मशीनें भी मौजूद रहती हैं, लेकिन क्या अपने कभी बिना किसी मशीन की मदद के कोई पुल बनते देखा है ? यदि नहीं तो हम आपको एक घटना बताते हैं, जिसे जान कर आप हैरान रह जाएंगे। दरअसल, उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के उदयापुर गांव में कुछ लोगों ने एकता की मिसाल कायम करते हुए रिन्द नदी पर पुल ही निर्मित कर दिया।
क्या है मामला ?
खबरों की मानें तो, उत्तर प्रदेश में उदयापुर गांव कानपुर शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। इस गांव के बगल से ही रिन्द नामक नदी बहती है। जब भी इस गांववालों को एक गांव से दूर गांव जाना पड़ता था, तो उन्हें यह नदी पार। उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। क्योंकि, रिन्द नदी पर पुल नहीं बना था। इसके कारण यहां के लोगों को बहुत दिक्कत आती थी। या फिर एक दूर तरीका यह था कि, वह 15 किलोमीटर तक पूरा घूम कर जाए। ऐसे में वह प्रशासन से यहां पुल बनवाने की मांग कर रहे थे। जब लाखों बार गुहार लगाने के बाद उनकी नहीं सुनी गई तो ग्रामीणों ने एकता दिखाकर खुद ही इस नदी पर पुल निर्मित कर दिया।
गांव वालों ने कई बार लगाई गुहार :
गांव वालों ने बताया कि, उन्होंने प्रशासन से लेकर जन प्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाई साथ ही उनके आगे-पीछे सैकड़ों चक्कर लगाए, लेकिन जब उनकी परेशानी का हल नहीं किया गया तो, उन्होंने एकजुट होकर जुगाड़ करते हुए से नदी पर पुल बना दिया। बताते चलें, यह पुल 60-70 मीटर लम्बा है और डेढ़ मीटर चौड़ा इस पुल पर बाइक और गांव वाले आसानी से आ-जा सकते हैं। इस पुल को बनाने के लिए बिजली के टूटे खम्भों को ट्रैक्टर और हाइड्रा मशीन के सहारे नदी में गाड़ा गया। इसके बाद पुल निर्मित करने का काम किया गया।
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