गुजरात ब्रिज हादसा
गुजरात ब्रिज हादसाSyed Dabeer Hussain - RE

गुजरात ब्रिज हादसा : केबल ब्रिज क्या होता है? जानिए मोरबी में टूटे ब्रिज का इतिहास

केबल ब्रिज अक्सर बहाव वाले पानी के ऊपर बनाए जाते हैं। इसे सस्पेंशन ब्रिज या हैंगिंग ब्रिज भी कहा जाता है। भारत के कई राज्यों में नदियों पर इस तरह के ब्रिज बनाए हुए हैं।

राज एक्सप्रेस। गुजरात के मोरबी में रविवार रात को बड़ा हादसा हो गया। यहाँ मच्छु नदी पर बना केवल ब्रिज अचानक टूट गया, जिससे ब्रिज पर मौजूद 500 से ज्यादा लोग नदी में गिर गए। इस हादसे में 140 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। फ़िलहाल वहां रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मामले की जांच करने के लिए कमेटी बना दी गई है। साथ ही ब्रिज की मैनेजमेंट कंपनी पर गैर इरादतन हत्या का केस भी दर्ज कर लिया गया है। इस दुखद हादसे के साथ ही केबल ब्रिज को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। तो चलिए जानते हैं कि केबल ब्रिज क्या होता है? और मोरबी में बने केबल ब्रिज का क्या इतिहास रहा है?

केबल ब्रिज क्या है?

दरअसल केबल ब्रिज अक्सर बहाव वाले पानी के ऊपर बनाए जाते हैं। इनमें नदी के दोनों किनारों पर बड़े-बड़े पिलर होते हैं और बाकी पुल केबल के जरिए टिका होता है। इस तरह के ब्रिज में पानी के अंदर कोई भी पिलर या बेस नहीं बनाया जाता है। इसे सस्पेंशन ब्रिज या हैंगिंग ब्रिज भी कहा जाता है। भारत के कई राज्यों में नदियों पर इस तरह के ब्रिज बनाए हुए हैं।

मोरबी ब्रिज का इतिहास :

बता दें कि मोरबी में जिस ब्रिज के टूटने से हादसा हुआ है, उसका इतिहास करीब 140 साल पुराना है। ब्रिटिश राज में इसे साल 1879 में 3.5 लाख रूपए की लागत से मच्छू नदी पर बनाया गया था। ब्रिज बनाने का सामान इंग्लैंड से लाया गया था। 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने इसका उद्घाटन किया था।

छह महीने से था बंद :

1.25 मीटर चौड़ा मोरबी ब्रिज इस क्षेत्र का एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। बाथरूम प्रोडक्ट और दीवार घड़ी बनाने के लिए मशहूर मोरबी का यह ब्रिज पिछले छह महीने से रेनोवेशन के लिए बंद था। इस पुल को हादसे से महज पांच दिन पहले ही पर्यटकों के लिए खोला गया था। यही कारण है कि रविवार को बड़ी संख्या में लोग ब्रिज पर घूमने-फिरने के लिए पहुंचे थे।

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