महाराष्ट्र: CM कुर्सी पर राजनीतिक संकट-क्या होगा राज्यपाल का फैसला

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के CM पद पर रहने के लिए विधानमंडल चुने जाने के लिए सिर्फ एक महीने का वक्त है। सभी की नजरें राज्‍यपाल के फैसले पर टिकीं, आखिर क्‍या होगा फैसला? ठाकरे ने PM मोदी से की बात...
चंद महीनों में ही डगमगाई महाराष्ट्र CM की कुर्सी बचेगी या जाएगी
चंद महीनों में ही डगमगाई महाराष्ट्र CM की कुर्सी बचेगी या जाएगीPriyanka Sahu -RE

राज एक्‍सप्रेस। देश में महामारी कोरोना वायरस का महाराष्ट्र राजनीति पर भी असर पड़ रहा है, क्‍योंकि शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्‍यमंत्री की कुर्सी पर तो बैठ गए, लेकिन अभी तक विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं बने हैं। कोरोना की वजह से MLC चुनाव भी टल चुके हैं, ऐसे में उनकी CM की कुर्सी डगमगा रही है।

ठाकरे की CM की कुर्सी बचेगी या जाएगी :

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के CM पद पर संवैधानिक संकट मंडरा रहा है और विधानमंडल के लिए चुने जाने के लिए उनके पास अब सिर्फ एक महीने का वक्त है। सभी की नजरें महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की CM कुर्सी के फैसले पर टिकी हुई हैं कि, आखिर उनके CM पद की कुर्सी बचेगी या जाएगी... इस पर निर्णय लेना अब राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथ में है, वे ही उद्धव ठाकरे को विधान परिषद की सीट के लिए मनोनीत करने पर मुहर लगाएंगे, लेकिन अभी तक राज्यपाल द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

क्‍या होगा राज्‍यपाल का फैसला ?

अब देखना ये है कि, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी क्‍या फैसला लेते हैं। इसी बीच उद्धव कैबिनेट के सदस्य की प्रतिक्रिया भी सामने आई है, जिसमें उनका कहना है कि, भगत सिंह कोश्यारी ने हमारी बात सुनी, लेकिन उनका रवैया टाल-मटोल वाला रहा, इसलिए हमें नहीं पता कि वह हमारी याचिका को स्वीकार करेंगे या नहीं। हालांकि, उन्होंने कहा कि, उद्धव ठाकरे के नामांकन पर अनिश्चितता के मद्देनजर सरकार विधान परिषद चुनावों के लिए चुनाव आयोग से संपर्क करने पर विचार कर रही है।

नेताओं ने राज्यपाल को भेजा था पत्र :

बता दें कि, पीडब्ल्यूपी, एस, एसएसएस और एस के नेताओं ने राज्यपाल को पत्र भेजा था, जिसमें इन दलों ने कहा कि, महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने राज्य के विधान परिषद में ठाकरे की नियुक्ति करने का प्रस्ताव पहले 9 अप्रैल को भजा था और उन्हें 28 अप्रैल (मंगलवार) को इसके बारे में याद दिलाया था, लेकिन अब तक निर्णय लिया जाना बाकी है।

अगर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को विधान परिषद सदस्य मनोनीत करने पर राज्यपाल ने फैसला नहीं लिया, तो ठाकरे को अपना मुख्‍यमंत्री पद छोड़ना पड़ेगा।

बता दें कि, विधायक बने बिना सत्ता पर राज कर रहे उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और ऐसे में अब उन्‍हें CM की कुर्सी को बचाए रखने के लिए 28 मई से पहले विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी है, क्‍योंकि 6 माह में सदन का सदस्य होना अनिवार्य है।

संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री का 6 माह के अंदर किसी सदन का सदस्य होना अनिवार्य है।

ठाकरे ने PM मोदी से की फोन पर बात :

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, ऐसे में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करके महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया। तो वहीं PM मोदी ने उन्हें जल्द से जल्द मामले को हल कराने का आश्वासन दिया है।

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