हाइलाइट्स :
यहां पढ़े वायुसेना के बहादुर 'मिग-27' का अब तक का सफर
'मिग-27' की आज आखिरी यादगार उड़ान
भारतीय वायुसेना से आज रिटायर हो रहा 'मिग-27'
इस विमान ने कारगिल युद्ध में निभाई थीं अहम भूमिका
राज एक्सप्रेस। भारतीय वायुसेना के लिए आज अर्थात 27 दिसंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण है व यादगार रहने वाला है, क्योंकि वायुसेना का बहादुर 'मिग-27' विमान (MiG-27 Aircraft)अब हमेशा के लिए रिटायर हो रहा है, आम बोलचाल की भाषा में अगर कहें तो यह विमान अब भारतीय सेना में नहीं दिखेगा, इसका सफर अब पूरा होने वाला है। आइए जानते हैं इस फाइटर विमान से जुड़ी कुछ खास जानकारी...
क्यों अहम था फाइटर मिग-27 ?
करीब 3-4 दशक तक आसमान में पराक्रम दिखाने वाले वायुसेना के फाइटर 'मिग-27' ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्धाभ्यास में भाग लिया एवं भारतीय वायुसेना का नाम रोशन किया है। साथ ही 1999 के कारगिल युद्ध और ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भी इस लड़ाकू विमान ने अहम भूमिका निभाते हुए देश को बहुत बड़ा योगदान दिया है।
कब शुरू हुआ था 'मिग-27' का सफर :
लड़ाकू विमान 'मिग-27' 38 साल पहले 1981 में राजस्थान के जोधपुर एयरबेस से इसका सफर शुरू हुआ था और यहीं से ही यह सफर खत्म हुआ है, आज जोधपुर में 'मिग-27' स्क्वाड्रन के सभी 7 विमानों ने आखिरी उड़ान भरी है।
विमान 'मिग-27' की खासियत :
38 साल तक अपनी सेवा देने के बाद रिटायर हो रहे 'मिग-27' की खासियत पर अगर गौर करें तो इस विमान की यह खासियत थीं...
यह फाइटर जेट 1700 किलोमीटर प्रतिघंटे की उड़ान भरने में सक्षम था।
यह विमान 4000 किलोग्राम के हथियार ले जा सकता था।
हवा में मुड़ने वाले पंख इस विमान की खासियत थे।
इस विमान की रफ्तार तेज होने के कारण मिराज विमान इसे पकड़ नहीं पाते थे।
पाकिस्तानी सेना के पायलट ने 'मिग 27' का नाम चुड़ैल रख दिया था।
इस विमान की जबरदस्त आवाज दुश्मनों के दिलों में खौफ पैदा करती थी।
क्या है मिग- 27
वायुसेना ‘बहादुर’ के विमान 'मिग-27' का निर्माणकर्ता देश रूस है, रूस कंपनी द्वारा ही इस विमान का निर्माण किया गया है। हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने रूस से मिले लाइसेंस के आधार पर कुल 165 मिग-27 का निर्माण किया था।
मिग-27 क्यों किया जा रहा रिटायर ?
भारतीय वायुसेना के विमान 'मिग-27' के रिटायर होने की वजह यह है कि, इस विमान के कलपुर्जों में कमी आने से विमान दुर्घटनाएं सामनेे आ रही हैं, इसी वर्ष यानी 2019 में ही 2 मिग-27 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। इसके अलावा रूसी कंपनी, जिसने इस विमान का निर्माण किया है वह भी अब इसके पर्याप्त संख्या में कलपुर्जे उपलब्ध कराने में समर्थ नहीं है।
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