शिंदे गुट को मिला शिवसेना का नाम और चिन्ह
शिंदे गुट को मिला शिवसेना का नाम और चिन्हSyed Dabeer Hussain - RE

शिंदे गुट को मिला शिवसेना का नाम और चिन्ह, जानिए शिवसेना चिन्ह का इतिहास

चुनाव आयोग का फैसला सामने आने के बाद से ठाकरे गुट में आक्रोश देखने को मिल रहा है। उनका कहना है कि वे जल्द ही नए चिन्ह और नाम के साथ मैदान में उतरेंगे।

राज एक्सप्रेस। केंद्रीय निर्वाचन आयोग के द्वारा बीते शुक्रवार को एकनाथ शिंदे की पार्टी को शिवसेना का नाम और चिन्ह अपने साथ रखने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि शिवसेना के नाम और चिन्ह को लेकर यह लड़ाई कई महीनों से चली आ रही थी। अब चुनाव आयोग के इस फैसले से जहाँ शिंदे गुट में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है, तो वहीं उद्धव ठाकरे गुट के लिए यह बड़ा झटका है। इस बीच एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने उद्धव के लिए कहा है कि, इससे बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा और जल्द ही लोग नए चिन्ह को स्वीकार कर लेंगे। हालांकि शिवसेना के इतिहास पर नजर डालें तो पार्टी कई बार अलग-अलग चिन्हों पर चुनाव भी लड़ चुकी है। चलिए जानते हैं इस बारे में।

शिवसेना की स्थापना :

साल 1966 जून के दौरान दिवंगत बाला साहब ठाकरे के द्वारा शिवसेना की स्थापना की गई थी। इसके बाद जब साल 1986 में शिवसेना ने मुंबई नगर निगम में चुनाव लड़ा। इस दौरान पार्टी ने ढाल और तलवार चिन्ह के साथ मैदान में कदम रखा था।

रेल इंजन बना पार्टी का चिन्ह :

इसके बाद साल 1980 के दौरान पार्टी ने रेल इंजन को अपना चिन्ह बनाया था। इससे पहले पार्टी साल 1978 में इस चिन्ह के साथ चुनाव लड़ चुकी थी। इन चिन्हों के अलावा शिवसेना ने साल 1985 के दौरान विधानसभा चुनाव में कदम बढ़ाते हुए टॉर्च से लेकर बैट-बॉल जैसे चिन्हों का भी उपयोग किया था।

धनुष-बाण का चिन्ह कैसे मिला :

साल 1989 के दौरान जब पार्टी के 4 सांसद लोकसभा पहुंचे, तब जाकर पार्टी को धनुष-बाण का चिन्ह मिला, जो अब तक बरकरार है। अब आगे देखना होगा कि उद्धव अपनी पार्टी को किस नाम और चिन्ह के साथ सामने लाते हैं।

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