जानिए रिमोट वोटिंग मशीन क्या है और विपक्ष क्यों कर रहा इसका विरोध?
राज एक्सप्रेस। बीते दिनों चुनाव आयोग ने कई राजनीतिक दलों के अध्यक्षों और महासचिवों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में रिमोट वोटिंग मशीन (आरवीएम) का प्रदर्शन किया गया। साथ ही सभी दलों से 31 जनवरी 2023 तक आरवीएम से जुड़े मुद्दे पर अपने विचार साझा करने के लिए भी कहा। हालांकि इस बीच कई विपक्षी दलों से आरवीएम पर सवाल उठाना शुरू कर दिए हैं। तो चलिए जानते हैं कि आखिर रिमोट वोटिंग मशीन क्या है? और चुनाव आयोग इसका इस्तेमाल क्यों करना चाहता है?
रिमोट वोटिंग मशीन क्या है?
दरअसल इस मशीन को सरकारी कंपनी मैसर्स इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने तैयार किया है। यह मशीन भी ईवीएम मशीन की तरह ही है। इसे ऑपरेट करने के लिए किसी कनेक्टिविटी की जरूरत नहीं होती है। एक तरह से इस मशीन को ईवीएम का अपडेटेड वर्जन भी कह सकते हैं। इस मशीन की मदद से ऐसे लोग भी मतदान कर पाएंगे, जो अपने गृह राज्य से बाहर रह रहे हैं।
क्यों पड़ी जरूरत?
दरअसल साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 45 करोड़ से ज्यादा लोग घरेलू प्रवासी हैं। यानी ये लोग किसी कारण से अपना घर छोड़कर देश के ही किसी अन्य शहर में जाकर रह रहे हैं। वर्तमान समय में कोई व्यक्ति उसी पोलिंग स्टेशन पर जाकर मतदान कर सकता है, जहां उसका नाम दर्ज है। ऐसे में बड़ी संख्या में घरेलू प्रवासी चुनाव के दौरान मतदान में हिस्सा नहीं ले पाते हैं। यही कारण है कि चुनाव आयोग आरवीएम के जरिए घरेलू प्रवासियों को मतदान की सुविधा उसी क्षेत्र में देना चाहता है, जहां वह रहे हैं। इससे मतदान प्रतिशत में इजाफा होगा।
क्यों हो रहा विरोध?
विपक्षी पार्टियों की मीटिंग के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरवीएम का विरोध करते हुए कहा है कि अभी यह प्रस्ताव अधूरा है। इसमें अभी राजनीतिक विसंगतियां और समस्याएं हैं। प्रवासियों की परिभाषा और प्रवासी कामगारों की संख्या को लेकर अभी कुछ साफ नहीं है। वहीं डीएमके सांसद पी विल्सन ने कहा है कि इससे फर्जी मतदान को बढ़ावा मिलेगा और निष्पक्ष वोटिंग की प्रक्रिया प्रभावित होगी।
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