क्या है स्वतंत्रता दिवस का इतिहास? महज 15 दिनों में पारित हुआ था भारतीय स्वतंत्रता विधेयक
राज एक्सप्रेस। भारत देश को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी मिले 75 साल पूरे हो चुके हैं। इस आज़ादी को पाने में कई लोगों का खून-पसीना और सालों की क्रांति और मेहनत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमारे देश को 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी मिली थी। इस दिन देशभर के युवाओं में देशभक्ति और जोश देखने को मिलता है और हर तरह देभभक्ति का माहौल दिखाई देता है। चलिए आज हम आपको स्वतंत्रता दिवस का महत्व और इसका इतिहास बताते हैं।
15 दिन में विधेयक हुआ था पारित :
ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में 4 जुलाई 1947 के दिन भारतीय स्वतंत्रता विधेयक को पेश किया गया था, जिसके बाद 15 अगस्त 1947 के दिन भारत पर से अंग्रेजों का शासन समाप्त हो आया और इसके साथ ही नए भारत का उदय हुआ। इस विधेयक को पारित होने में महज 15 दिनों का ही समय लगा।
अंग्रेजों की नाकाम कोशिश :
15 अगस्त 1947 को देश को स्वतंत्रता मिलने के बावजूद भी अंग्रेजों के लिए सत्ता को छोड़ देना आसान बात नहीं थी। जिसके बाद ब्रिटिश संसद के द्वारा लॉर्ड माउंटबेटन को यह आदेश दिया गया कि वे 30 जून 1948 तक सत्ता हस्तांतरण कर दें। जब अगस्त 1947 की तारीख को आगे बढाया गया, तब अंग्रेजों के लिए हार मानना काफी कठिन था। लेकिन वे इसे रक्तपात रोकने के नाम पर छुपाते रहे। जिसके साथ उन्होंने यह तर्क दिया कि वे यह सुनिश्चित कर रहे थे कि कोई रक्तपात या दंगा नहीं होगा। लेकिन बाद में वे ही गलत साबित हुए।
कब फहराया गया पहली बार तिरंगा :
आज़ादी मिलने के साथ ही भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को पहली बार 15 अगस्त 1947 के दिन ही नई दिल्ली के लाल किले के लाहौरी गेट पर फहराया था। इस दिन को इतिहास में चिन्हित कर दिया गया और इसके बाद से हर साल देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त के दिन लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और राष्ट्र के नाम संबोधन देते हैं।
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