कौन है भगोड़ा नित्यानंद
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जानिए कौन है भगोड़ा नित्यानंद ? क्या उसके काल्पनिक देश ‘कैलासा’ को संयुक्त राष्ट्र ने दी है मान्यता?

खुद को भगवान का दर्जा देने वाले नित्यानंद का असली नाम राजशेखर है और वह मूल रूप से तमिलनाडु के थिरुनामलाई का रहने वाला है। नित्यानंद पर रेप, बच्चों के अपहरण सहित अन्य कई मामले दर्ज हैं।

राज एक्सप्रेस। बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक में यौन शोषण के आरोपी और भगोड़े नित्यानंद के काल्पनिक देश ‘कैलासा’ की एक प्रतिनिधि विजयप्रिया नित्यानंद ने भी हिस्सा लिया। इस बैठक में विजयप्रिया नित्यानंद ने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला। उसने बैठक में कहा कि भारत में उनके सर्वोच्च गुरु को उत्पीड़ित किया जा रहा है। ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि नित्यानंद कौन है? और क्या उसके देश ‘कैलासा’ को संयुक्त राष्ट्र की मान्यता मिल गई है? चलिए जानते हैं इसकी सच्चाई-

कौन है नित्यानंद?

सबसे पहले आपको बता दें कि खुद को भगवान का दर्जा देने वाले नित्यानंद का असली नाम राजशेखर है और वह मूल रूप से तमिलनाडु के थिरुनामलाई का रहने वाला है। नित्यानंद पर रेप, बच्चों के अपहरण सहित अन्य कई मामले दर्ज हैं। हालांकि इन आरोपों का सामना करने की बजाय साल 2019 में वह देश छोड़कर फरार हो गया था। इसके बाद कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था।

कैलासा क्या है?

दरअसल अमेरिका में त्रिनिदाद और टोबैगो के आसपास कई ऐसे द्वीप हैं, जिसे निजी तौर पर कोई भी खरीद सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत से भागने के बाद नित्यानंद ने कथित रूप से त्रिनिदाद के पास एक आइलैंड खरीदा और उसका नाम ‘कैलासा’ रख दिया। नित्यानंद का दावा है कि उसका देश दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू राष्ट्र है और जो भी लोग हिंदू धर्म की बेखौफ प्रैक्टिस करना चाहते हैं वे कैलासा आ सकते हैं। खास बात यह है कि नित्यानंद ने अपने देश की आधिकारिक वेबसाइट, झंडा और करेंसी जैसी चीजें भी बना ली हैं। यही नहीं नित्यानंद लोगों को कैलासा आने के लिए वीजा जारी करने का दावा भी करता है।

संयुक्त राष्ट्र से मिली मान्यता?

यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या नित्यानंद के काल्पनिक देश ‘कैलासा’ को संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिल गई है? तो आपको बता दें कि इसको लेकर भी तक कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है। वैसे जहां तक उसके प्रतिनिधि के संयुक्त राष्ट्र की मीटिंग में हिस्सा लेने का सवाल है तो बता दें कि इस मीटिंग में कोई भी व्यक्ति या समूह मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर अपनी बात रख सकता है।

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