हाइलाइट्स :
सरकार ने घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति बनाए रखने के लिए तमाम कदम उठाए।
हाल में दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में प्याज की कीमतें 60-80 रुपये किलो तक पहुंच गई थी।
लोगों को राहत देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने 23.90 रुपए किलो तक प्याज बेचा था।
सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर रोक लगाने और स्टॉक लिमिट तय करने से रेट कम हुए।
एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव के उतार-चढ़ाव से देशभर में भाव प्रभावित होते हैं।
राज एक्सप्रेस। केंद्र सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर रोक लगाने और व्यापारियों के लिए स्टॉक लिमिट तय करने जैसे कदम उठाए जाने के बाद एशिया की सबसे बड़ी थोक मंडी में प्याज के दाम घटकर 30 रुपए प्रति किलोग्राम से नीचे आ गए हैं। सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध तथा व्यापारियों पर इसके स्टॉक की सीमा लागू किए जाने के बाद एशिया की सबसे बड़ी थोक प्याज मंडी में कीमतों में खासी गिरावट आई है। माना जा रहा है कि सरकार के प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध और कारोबारियों पर भंडारण सीमा लगाए जाने का कीमतों पर खासा असर पड़ा है। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के आंकड़ों के अनुसार, नासिक जिले में स्थित लासलगांव मंडी में सितंबर के मध्य में प्याज 51 रुपए प्रति किलोग्राम के उच्चस्तर पर पहुंच गया था।
यहां उल्लेखनीय है कि-
महाराष्ट्र के लासलगांव स्थित प्याज की सबसे बड़ी मंडी से ही देशभर में प्याज की कीमतों का रुख तय होता है। इस मंडी में प्याज कीमतों में किसी तरह के उतार-चढ़ाव का असर देशभर में पड़ता है। लासलगांव कृषि उपज विपणन समिति में बृहस्पतिवार को प्याज का औसत थोक भाव घटकर 26 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गया। प्याज का अधिकतम भाव 30 रुपए किलोग्राम और न्यूनतम भाव 15 रुपए प्रति किलोग्राम रहा।
प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में बाढ़ की वजह से प्याज की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इसके चलते अगस्त से ही प्याज कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। खरीफ के प्याज की कम बुवाई की वजह से भी इसकी कीमतों पर दबाव बना है। अभी पिछले साल की रबी फसल का भंडार किया हुआ प्याज बाजार में बिक रहा है। खरीफ की नई फसल की आवक नवंबर से शुरू होने की उम्मीद है।
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