World Heritage Day : जानिए भारत के 5 प्रमुख विश्व विरासत स्थलों के बारे में
World Heritage Day : हर साल 18 अप्रैल को पूरी दुनिया में World Heritage Day यानि विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व में मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करना और लोगों को इनके बारे में जागरूकता प्रदान करना है। पहली बार विश्व विरासत दिवस 18 अप्रैल 1982 को ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स’ द्वारा ट्यूनीशिया में मनाया गया था। इसके बाद साल 1983 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाने की अधिकारिक घोषणा की थी। तो चलिए आज इस मौके पर हम भारत के पांच प्रमुख विरासत स्थलों के बारे में जानेंगे।
ताजमहल :
दुनिया के सात अजूबों में से एक आगरा का ताजमहल भारत के प्रमुख विरासत स्थलों में से एक है। इसे साल 1630 से साल 1650 के बीच बनवाया गया था। यमुना नदी के तट पर स्थित ताजमहल में हमें भारतीय, फारसी और इस्लामी स्थापत्य शैली के साथ मुगल वास्तुकला देखने को मिलती है। इसे साल 1983 में यूनेस्को ने विश्व विरासत की सूचि में शामिल किया था।
अजंता की गुफाएं :
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित 29 बौद्ध गुफाएँ हैं, जिन्हें अजंता की गुफाएं कहा जाता है। यह गुफाएँ भारतीय मूर्तिकला, वास्तुकला और प्राचीन भारतीय काला को प्रदर्शित करती है। इन गुफाओं में भारत में बौद्ध धर्म के उदय और भगवान बुद्ध के जीवन का वर्णन करने वाली मूर्तियाँ और पेंटिंग बनी हुई है। साल 1983 में यूनेस्को ने इन गुफाओं को विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।
सूर्य मंदिर :
ओड़िशा के कोणार्क में स्थित प्रसिद्द सूर्य मंदिर को साल 1984 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया था। इस अनोखे मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गांग वंश राजा नरसिंहदेव प्रथम ने कराया था। इस मंदिर को सूर्य देवता के रथ के आकार का बनाया गया है। इस रथ में 12 जोड़ी पहिए और 7 घोड़े रथ खींचते हुए दिखाए गए हैं। इन घोड़ों को 7 दिन का प्रतिक माना जाता है। यह मंदिर मध्यकालीन वास्तुकला को प्रदर्शित करता है।
खजुराहो :
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो अपनी अद्भुत मूर्तीकला के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां कई हिन्दू मंदिर हैं, जो 1000 से भी अधिक पुराने हैं । यहां दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियाँ सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। साल 1986 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया था।
सांची :
मध्यप्रदेश के सांची स्तूप को साल 1989 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया था। बौद्ध संरचनाओं की श्रृंखला में से एक सांची स्तूप दुनिया की बेहतरीन ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इसे सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था। यहां हमें देश की सबसे पुरानी शैल संरचना के दर्शन होते हैं।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस यूट्यूब चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। यूट्यूब पर @RajExpressHindi के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।