राज एक्सप्रेस। प्रत्येक वर्ष 16 सितंबर को पूरी दुनिया में 'विश्व ओजोन दिवस' (World Ozone Day 2019) मनाया जाता हैैं, जीवन के लिए ऑक्सीजन से ज्यादा जरूरी ओजोन हैं और मुख्यत: इस दिवस का आयोजन करने की वजह ये है कि, ओजोन परत के बारे में लोगों को जागरूक करने के साथ ही इसे बचाने के समाधान की खोज के लिए मनाया जाता हैं।अंतरराष्ट्रीय प्रयासों पर 'विश्व ओजोन दिवस' हानिकारक गैसों के उत्पादन एवं रिहाई को सीमित करने पर जोर देता है, यह दिवस मनाने का उद्देश्य धरती पर ओजोन की परत का सरंक्षण करना हैं। ओजोन लेयर पृथ्वी का सुरक्षा कवच माना जाता है, परंतु पृथ्वी पर प्रदूषण बढ़ रहा हैं, जिससे ये लेयर घटती जा रही हैं।
कैसे हुई इस दिन की शुरुआत :
ओजोन परत की खोज वर्ष 1913 में फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थीं और विश्व ओजोन दिवस को वर्ष 1995 में पहली बार मनाया गया था। इस दिन ओजोन परत के संरक्षण के लिए वर्ष 1987 में बनाए गए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 19 दिसंबर 1994 को, 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषण की थीं।
विश्व ओजोन दिवस 2019 की थीम :
विश्व ओजोन दिवस की अपनी एक थीम है और यह साल-दर-साल बदलती रहती है, हर साल अधिकारियों द्वारा एक नई थीम रखी जाती है और इस वर्ष 'विश्व ओजोन दिवस 2019' की थीम '32 वर्ष और हीलिंग' (32 years and Healing) हैं। इस थीम उद्देश्य मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अंतर्गत विश्वभर के देशों द्वारा ओजोन परत के संरक्षण एवं जलवायु की रक्षा हेतु 3 दशकों से किए जा रहे प्रयासों को सेलिब्रेट किया जाएगा।
हर वर्ष होती हैं एक अलग थीम :
'विश्व ओजोन दिवस' पर पिछले वर्षो में ये थीम रखी गई थीं, जानिए क्या- क्या थीम रखी गई थीं...
क्या है ओजोन परत :
धरती पर उन्नत जीव श्रृंखला पाए जाने में ओजोन का बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान है।ओजोन ऑक्सीजन का अपर रूप है, जो धरती के वायुमंडल में 35 किमी. की ऊंचाई पर 90 से लेकर 120 किमी. मोटी ओजोन परत विद्यमान है। सरल शब्दों में आप ऐसे भी समझ सकते हैं, जिस तरह बारिश में हम छातेे की मदद से भीगने से बचते है, ठीक उसी प्रकार ओजोन पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती हैं, ओजोन गंधयुक्त गैस एवं हल्के नीले रंग की होती है और यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है। यह गैस प्राकृतिक रूप से बनती है, जब सूर्य की किरणें वायुमंडल से ऊपरी सतह पर ऑक्सीजन से टकराती हैं, तो उच्च ऊर्जा विकरण से इसका कुछ हिस्सा ओजोन में परिवर्तित हो जाता है, साथ ही विद्युत विकास क्रिया, बादल, आकाशीय विद्युत एवं मोटरों के विद्युत स्पार्क से भी ऑक्सीजन ओजोन में बदल जाती है।
पराबैगनी किरणें पृथ्वी तक पहुँची तो क्या होगा :
अगर सूर्य से आने वाली सभी पराबैगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँच जाएं तो पृथ्वी पर सभी प्राणी रोग ( जैसे-कैंसर) से पीड़ित हो जाएंगे और सभी पेड़-पौधे नष्ट हो जाएंगे, लेकिन सूर्य विकिरण के साथ आने वाली पराबैंगनी किरणों का लगभग 93- 99% भाग ओजोन मण्डल द्वारा सोख लिया जाता है, इस कारण पृथ्वी पर स्थित प्राणी, वनस्पति, तीव्र-ताप व विकिरण से सुरक्षित बचे हुए है, इसीलिए ओजोन परत को सुरक्षा कवच कहा जाता हैं।
क्या है ओजोन परत के क्षय का मुख्य कारण :
ओजोन परत के क्षय का मुख्य कारण हम खुद हैं, मानवीय क्रियाकलापों ने अज्ञानता के चलते वायुमंडल में कुछ ऐसी गैसों की मात्रा बढ़ गई हैं, जिससे धरती पर जीवन रक्षा करने वाली ओजोन परत को नष्ट कर रही हैं।
इन गैसों से ओजोन को भारी को नुकसान :
जीवन के लिए ऑक्सीजन से ज्यादा जरूरी ओजोन हैं, लेकिन कार्बन डाई ऑक्साइड, लोरो लोरो कार्बन, अमोनिया, मीथेन जैसी गैसें वातावरण के साथ ही ओजोन की परत को भारी नुकसान पहुंचाती हैं।
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