कोरोना मरीज ठीक हो कर आ सकता है 'क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम' की चपेट में

कोरोना एक लाइलाज बीमारी है परंतु फिर भी दुनियाभर में लाखों की संख्या में लोग इस महामारी से ठीक भी हुए है। परंतु अब प्रश्न यह उठता है कि, क्या यह लोग वाकई में पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं?
Chronic Fatigue Syndrome
Chronic Fatigue Syndrome Kavita Singh Rathore -RE

राज एक्सप्रेस। एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना के बढ़ते प्रकोप से परेशान है। वहीं, दूसरी तरफ लोग कोरोना वैक्सीन के इंतज़ार में बैठे हैं। ऐसे हालातों बीच कोरोना वायरस और इसके असर से जुड़ी कई स्टडी सामने आ रही हैं। हालांकि, कोरोना एक लाइलाज बीमारी है परंतु फिर भी दुनियाभर में लाखों की संख्या में लोग इस महामारी से ठीक भी हुए है। परंतु अब प्रश्न यह उठता है कि, क्या यह लोग वाकई में पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं?

अमेरिका के सेंटर की स्टडी :

दुनियाभर में कोरोना से ठीक हुए मरीजों के लिए अमेरिका के 'सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन सेंटर' की स्टडी का दावा है कि, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज कोरोना से ठीक होने के बाद 'क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम' (Chronic fatigue syndrome) का शिकार हो सकता हैं। हालांकि, स्टडी के अनुसार यह सभी मरीजों में नहीं पाया गया है, लेकिन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन सेंटर का दवा है कि, कोरोना से ठीक हुए मरीजों में से लगभग 35% मरीजों में क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम पाया ही जा रहा है। इस सेंटर ने यह रिपोर्ट 24 जुलाई तक सामने आए कोरोना मरीजों पर की गई स्टडी के बाद तैयार कर जारी की है।

नहीं है क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम का कोई इलाज :

बता दें, पूरी दुनिया में बीते 6 महीनों के दौरान अब तक कोरोना महामारी से लगभग दो करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और मरने वालों का आंकड़ा 7 लाख के पर जा चुका है। अब ऐसे में कोरोना मरीज में ठीक होने के बाद उसमें क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम का पाया जाना एक परेशान कर देने जैसी बात है। क्योंकि, इस सिंड्रोम का कोई पर्मानेंट इलाज नहीं है। यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित हो जाता है तो, उसे इस बीमारी को मरते दम झेलना पड़ता है।

अमेरिकी सेंटर का सर्वे :

जानकारी के अनुसार, सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रेवेंशन सेंटर (CDC) द्वारा इस स्टडी के लिए कोविड -19 की चपेट में आकर ठीक हुए 229 मरीजों को लेकर एक सर्वे किया। जिसमें सेंटर ने पाया कि, इनमें से 35% लोगों में 'क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम' पाया गया। सेंटर के अनुसार, इस सिंड्रोम का कोई एक लक्षण नहीं होता और न ही सभी में इसके एक जैसे लक्षण पाए जाते हैं। सर्वे के दौरान इन 35% लोगों में इस सिंड्रोम के अलग-अलग कई लक्षण और परेशानियां एक साथ देखी गई थी।

स्टडी में पाई गई परेशानियां या लक्षण :

बताते चलें, इस पूरी स्टडी के दौरान जिन लोगों में 'क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम' पाया गया है। उनके शरीर में कुछ गंभीर परेशानियां या कहें तकलीफ भी पाई गई है। इनमें से मुख्य तौर पर निम्नलिखित परेशानियां या लक्षण शामिल हैं।

  • हड्डियों में दर्द

  • शरीर में पूरे टाइम थकावट रहना

  • हमेशा नींद की समस्या

  • हमेशा उदासी रहना या अकेलेपन में रहने की समस्या

  • मांसपेशियों में दर्द

  • कुछ नया करने का मन नहीं करना

  • दिनभर शरीर में आलस का रहना

क्या है क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम?

सबके मन में पहला सवाल यह उठ रहा होगा कि, आखिर यह क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम है क्या। तो, हम बता दें, क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम एक तरह की ऐसी बीमारी होती है जिसमें किसी व्यक्ति को पूरे टाइम शरीर में थकान महसूस होती रहती है। हालांकि, शारीरिक और मानसिक थकान अलग-अलग हो सकती है। लेकिन बता दें, बहुत ज्यादा समय तक शारीर में थकावट रहने से ही मानसिक थकान महसूस होने लगती है। इस तरह के लक्षण 'क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम' कहलाते हैं। हालांकि, बड़ी बीमारी नहीं है लेकिन इसका कोई इलाज नहीं है। बता दें, इसका अब तक कोई इलाज इसलिए भी नहीं डुंडा जा सका है क्योंकि, प्रत्येक व्यक्ति पर इसका अलग असर दिखता है।

लोगों को जल्दी चपेट में लेता है :

जानकारी के अनुसार, क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम ऐसे लोगों को जल्दी अपनी चपेट में लेता है जिसका लाइफ स्टाइल खराब हो या उन्हें एनीमिया, थायरॉयड, डायबिटीज, फेफड़े और हृदय रोग जैसी बीमारियां हो। इसकी अन्य बड़ी वजह तनाव, दु:ख, नशा करना, चिंता, निराशा और पर्याप्त नींद न लेना भी हैं। डॉक्टर्स इस बीमारी से ग्रसित मरीज को 'मल्टी विटामिन' की गोलियां लेने की सलाह देते हैं।

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