डिप्रेशन जानलेवा बीमारी तो नहीं लेकिन जान लेने पर जरूर आ जाता है

डिप्रेशन कोई लाइलाज बीमारी तो नहीं है लेकिन कभी-कभी वह जान लेने पर जरूर आ जाता है। इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं महत्वपूर्ण ये है कि, आप इससे डील कैसे करते हैं।
डिप्रेशन जानलेवा बीमारी
डिप्रेशन जानलेवा बीमारीSocial Media

राजएक्सप्रेस: आज-कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर चौथा इंसान कहीं न कहीं तनाव ग्रस्त नजर आता है। यही तनाव डिप्रेशन जैसी बीमारियों को खास न्योता देता है। डिप्रेशन वैसे तो कोई लाइलाज बीमारी नहीं है लेकिन कभी-कभी डिप्रेशन के कारण हुए मानसिक और शारिरिक बदलाव हमें गहरी बीमारी की ओर ले जाते हैं।

आज बड़ें बुजुर्गों से लेकर छोटे-छोटे बच्चे भी इस बीमारी से ग्रस्त होते जा रहे हैं। कई बार तो हालत ऐसी हो जाती है कि इसकी वजह से लोग-बाग आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। आखिर क्या वजह है इस बीमारी की जो जानलेवा तो नहीं होता पर जान लेने पर जरुर आ जाता है।

लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस, तरह व्यस्त हो जाते हैं कि, वह अपनी पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक गतिविधि सब भूल कर बैठ जाते हैं। लोगों में सबसे ज्यादा पैसे कमाने की होड़ होती है क्योंकि वह अपने लिए बेहतर से बेहतर जिंदगी की अपेक्षा रखते हैं और अपनी सारी जरुरतों को पूरा करना चाहते हैं। ज्यादा पैसे कमाने की लालसा में लोग दिन रात काम करते हैं और अपनी खुद की जिंदगी जीना भूल जाते हैं। वहीं एक वक्त ऐसा भी आता है कि उनके पास सब कुछ होकर भी कुछ नहीं होता है, जिसकी वजह से वह खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं और तनाव के शिकार हो जाते हैं। डिप्रेशन जैसी बीमारियों के पैदा होने का कुछ महत्वपूर्ण कारण होता है जिसके बारे में हम सभी को पता होना चाहिए ताकि हम इस तरह की स्थिति का शिकार न हो और अगर हो भी जाएं तो उससे उभरने के रास्ते भी खुद ही निकाल लें।

अकेलापन

डिप्रेशन का सबसे बड़ा कारण है अकेलापन। जीवन में जल्दी आगे बढ़ने की लालसा में कभी-कभी लोग इतने अकेले हो जाते हैं कि उनकी जीवन जीने की इच्छा ही ख्तम हो जाती है। उन्हें पता ही नहीं चलता कि जिंदगी की भागदौड़ में वो इतने आगे निकल चुके हैं कि, उनका बहुत कुछ पीछे छूट गया है। परिवार का साथ ना मिल पाना पति-पत्नि से अलग हो जाना या कार्यस्थल पर किसी वजह की परेशानी होना व अन्य कारणों से भी लोग खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं और आखिर में यही अकेलापन उन्हें ले डूबता है। सही समय पर किसी का साथ नहीं मिलने के कारण इंसान इस तरह अकेला हो जाता है कि वह डिप्रेशन का शिकार बन जाता है।

असफलता

डिप्रेशन का एक कारण असफलता भी है। कभी-कभी हम किसी चीज को लेकर इतने प्रभावशाली हो जाते हैं कि अगर वह चीज हमें हासिल नहीं हो पाती है तो हम उसके बारे में दिन-रात सोचने लगते हैं और फिर हम हमेशा उसी चीज को पाने की कोशिश करते रहते हैं। असफलता हमारे दिमाग पर इस तरह से हावी हो जाती है कि बाद में हमारे सोचने की शक्ति ही खत्म होने लगती है। दिमाग काम करना बंद कर देता है और हम तनाव ग्रस्त हो जाते हैं।

शहर की चकाचौंध भरी जिंदगी में लोगों की दिनचर्या

शहर की भागती दौड़ती जिंदगी में लोग इस तरह व्यस्त रहते हैं कि वह किसी भी चीज का टाईम टेबल नहीं बना पाते। असमय उठना, भोजन करना, घूमना, रात भर पार्टी करना शराब पीना नाईट शिफ्ट्स में काम करना एवं अन्य कार्य भी युवाओं को डिप्रेशन का शिकार बना देती है। हद से ज्यादा मौजमस्ती भी कहीं न कहीं डिप्रेशन जैसी बीमारियों को न्योता दे रही है।

पढ़ाई का प्रेशर

स्कूल जाते बच्चों पर पढ़ाई का सबसे ज्यादा प्रेशर होता है जिसकी वजह से वह दिन-रात मेहनत करते हैं। पर कभी-कभी हद से ज्यादा पढ़ाई में लगे रहना भी बच्चों में तनाव का कारण बन जाता है। स्कूल और माता-पिता से मिल रहा पढ़ाई का प्रेशर भी बच्चों को काफी हद तक प्रभावित करता है। तो वहीं युवाओं में आगे बढ़ने की होड़, प्यार में असफलता, माता-पिता से अनबन जैसे कई कारण डिप्रेशन को जन्म देते हैं।

लाइलाज नहीं पर जानलेवा जरूर है

डिप्रेशन कोई लाइलाज बीमारी तो नहीं पर कभी-कभी जानलेवा जरूर साबित होता है। अगर सही वक्त पर सलाह-मशवरा नहीं लिया तो इसके परिणाम घातक साबित हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि, अगर आपके दिमाग में भी किसी चीज को लेकर ऐसे ख्याल आते हैं जिसकी वजह से आप दिन रात नकारात्मक सोच में डूब जाते हों तो जरूरी है अपने किसी दोस्त या चिकित्सक से बात कर अपना मन हल्का करें। अगर आप अपनी परेशानी को दूसरों से शेयर करेंगे तो वह उसका कोई न कोई हल आपको जरूर देगा ।

खास कर कोशिश करें कि, ऐसे वक्त में आप अकेले ना रहें, आसपास सभी लोगों से बातचीत करते रहें ताकि आपका दिमाग उस तरफ न जाए। ज्यादा से ज्यादा समय अपनों के साथ बितायें। किसी भी छोटी बात को दिल से लगाकर न बैठे जिसकी वजह से आपको तकलीफ हो और आप बार-बार उसके बारे में ही सोचें। जिंदगी जितनी सरल होगी मुश्किलें भी उतनी ही आसान होती जाएंगी। बेवजह जीवन को उलझाने से बेहतर है छोटी छोटी खुशियों में खुश रहना ताकि अगर कभी कोई परेशानी आए तभी आप मुस्कुराते रहें। तनाव मुक्त जीवन जीने का सबसे सरल उपाय यही है।

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