Dr. Priyanka Tiwari Sharma
Dr. Priyanka Tiwari SharmaMumtaz Khan

फिटनेस मतलब जीरो फिगर नहीं, बल्कि कोई बीमारी न होना है

वर्क फ्रॉम हो और आनलाइन क्लास से तीन गुना बढ़ी शरीरिक समस्याएं। क्रिएट स्टोरीज के वेबिनार में फि़जिय़ोथेरेपिस्ट डॉ प्रियंका तिवारी शर्मा ने की चर्चा।

इंदौर, मध्य प्रदेश। वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लास के दौरान घर पर कैसे फिट रहें इस पर ऑनलाइन सेमिनार का आयोजन क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किया गया। फि़जिय़ोथेरेपिस्ट डॉ प्रियंका तिवारी शर्मा ने इस विषय पर चर्चा करी । संचालन दीपक शर्मा ने किया।

डॉ प्रियंका तिवारी शर्मा ने बताया की अभी के समय में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लास का दौर चल रहा है, इस दौरान स्क्रीन पर पढ़ने और काम करने का समय पहले की तुलना में तीन गुना बढ़ गया है, जिससे अनेक समस्याओं का जन्म हो रहा है।

शुरू से यदि अपनी शरीर पर ध्यान न दिया जाए तो कई बीमारियां जन्म लेती हैं, गलत बॉडी पोस्चर या ढंग, आदतें बन जाती है एवं अभी के लाइफस्टाइल के हिसाब के समस्या देखने को मिल रही है जैसे स्पाइन टेढ़ी होना, कंधे झुकना, गर्दन आगे आना, कमर दर्द, 15 से 20 दिन में बार-बार कफ होना, इम्युनिटी वीक होना, ज्यादा देर न बैठ पाना, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, लो बेक पेन आदि।

दर्द के साथ दोस्ती न कर :

फिटनेस का मतलब वजन कम करना या जीरो फिगर बनना नहीं है बल्कि फिटनेस का मतलब है कि हमें कोई बीमारी या दर्द ना हो। दर्द के साथ दोस्ती न करें, अभी के वक्त में काम ज्यादा बढ़ गया है क्यूंकि आज हमे घर से बैठे-बैठे काम करने की आदत नहीं है और जब नये तरीके से काम करते हैं तो नई नई तरह की थकान होती है और कई बार वो थकन बीमार कर देती है। वर्कआउट या फिजिकल फिटनेस का मतलब शरीर को मूव करना नहीं है बल्कि मतलब तब है जब आपके जॉइंट्स मूव हो रहे हों। घर पर सभी परिवार के सदस्य मिलकर कम से कम 45 मिनट का समय निकालिए एवं सभी साथ में फिजिकल और जॉइंट्स मूवमेंट हो ऐसे वर्कआउट करिए। जब सब साथ मिलकर वर्कआउट करते है तो एक दूसरे को देख कर मोटीवेट होते है एवं एनर्जी भी डबल फील होती है और समय का पता भी नहीं चलता। वैदिक काल से ही कुछ ऐसे नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करना हमारी सेहत के लिए अच्छा है, बड़ों और बच्चों में अकसर एक आदत होती है पैर लटकाकर पढ़ने या काम करने की, जो की सही नहीं है, हमेशा ज़मीन पर तलवा सीधा पैर रखकर काम करें या पढ़ें। साथ ही बैठे-बैठे पैर हिलाने से जोड़ों के दर्द की समस्या हो सकती है। पैरों की नसों पर विपरित प्रभाव पड़ता है। पैरों में दर्द हो सकता है। इसका बुरा प्रभाव हृदय पर भी पड़ सकता है। इन कारणों के चलते इस आदत का त्याग करना चाहिए।

कुछ सिंपल एक्सरसाइजेज से रहें फिट :

कुछ सिंपल एक्सरसाइजेज लेटकर पैरों को साइकिल की तरह चलाइए, पैडलिंग करिए, पैरों को ऊपर नीचे करिये, ब्रीदिंग एक्सरसाइज करिए, गर्दन के सारे मूवमेंट्स करिए, शरीर के हर पार्ट और जॉइंट्स का मूवमेंट करते रहिये जैसे घुटने, पंजो, हिप्स, हाथों, कंधो का मूवमेंट। रात को सोने के पहले बिना मलाई का गाय का दूध, गुड़ और हल्दी डालकर लीजिये यदि पसंद नहीं है तो 20 से 30 एम.एल. दवाई समझकर लीजिये इससे आपकी पूरे दिन की थकान उतरेगी एवं रिलैक्स्ड नींद आएगी, फिजिकली फिट महसूस करेंगे। कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते या पढ़ते वक्त ज्यादा न झुके, कमर के ऊपर से पीठ सीधी रखिये, पैरों को ज़मीन पर रखिये, घुटने 90 डिग्री, पैर की अंगुली सीधी और पैर के तलवे सीधे रखिये और ये सब नहीं कर पा रहे है तो कुछ न कुछ समस्या का यह पहला वार्निंग साइन है। अपना सिटींग पोस्चर बदलिए, बहुत आराम और बहुत मुश्किल नहीं होना चाहिए। एक ही पोजीशन में न रहे 40-50 मिनट्स में 5 मिनट बॉडी मूवमेंट करिए स्ट्रेचिंग करिए एवं 3 से 4 घंटे बाद कुछ देर गार्डन या छत में चलिए या कुछ ऐसी एक्टिविटी करिए जिससे बॉडी जॉइंट्स मूव हो जिससे बॉडी का मूवमेंट हो और रिलैक्स हो।

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