क्या होता है डाउन सिंड्रोम? जानिए इसके लक्षण और बचाव
राज एक्सप्रेस। डाउन सिंड्रोम एक ऐसा समस्या है जिसमें बच्चे के शरीरिक विकास के साथ ही मानसिक विकास भी काफी हद तक प्रभावित होता है। बच्चे का विकास बहुत धीमे होने लगता है और यह स्थिति भी लंबे समय तक बनी रहती है। हालाँकि अगर बच्चे को सही समय पर उपचार और उचित देखभाल मिले तो वह सामान्य और स्वस्थ तरीके से बड़ा हो सकता है। डाउन सिंड्रोम की समस्या 35 साल से अधिक उम्र में माँ बनी महिलाओं के बच्चों में अधिकतर के साथ देखने को मिलती है। यह बीमारी हर साल जन्मे 1000 से से किसी एक बच्चे के साथ दिखाई देती है। चलिए जानते हैं डाउन सिंड्रोम के बारे में खास बातें।
क्यों होती है यह समस्या?
डाउन सिंड्रोम में बच्चे को मानसिक और शारीरिक विकारों से जूझना पड़ता है। इस समस्या को ट्राइसॉमी-21 के नाम से भी जाना जाता है। यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जिसका प्रभाव बचपन से ही दिखाई देने लगता है। दरअसल प्रजनन के वक्त बच्चे तक माता से 23 और पिता से 23 क्रोमोसोम पहुँचते हैं। लेकिन जब इन क्रोमोसोम के मिलने पर 21 वें क्रोमोसोम का डिवीजन नहीं हो पाता, तब यह क्रोमोसोम अपनी एक कॉपी बना देता है। जिसे ट्राइसॉमी-21 कहते हैं। यह अतिरिक्त क्रोमोसोम ही बच्चे में विकार का कारण बनता है।
डाउन सिंड्रोम के लक्षण :
इस खतरनाक सिंड्रोम से जूझ रहे बच्चों के व्यवहार में सामान्य बच्चों से थोड़ा अंतर दिखाई देता है। ऐसे बच्चों में मानसिक विकास कम होता है, जिसके चलते वे चीजों को जल्दी सीख नहीं पाते। उनका चेहरा फ्लैट होता है और सिर और कान भी छोटे दिखाई देते हैं।
डाउन सिंड्रोम का इलाज और बचाव :
सबसे पहले गर्भवती मालिके के स्क्रीनिंग टेस्ट से ही यह पता चल सकता है कि बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है या नहीं। यह पता चलने पर उपचार शुरू किया जा सकता है। हालाँकि इस समस्या को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे देखभाल करके इसे नियंत्रण में जरुर लाया जा सकता है। इसके लिए बच्चे को खेलकूद के लिए प्रोत्साहित करना और समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना जरुरी है।
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