
World Homeopathy Day : दुनियाभर में आज के दिन यानि 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के तौर पर धूमधाम से मनाया जाता है। गौरतलब है कि आज के समय में लोग होम्योपैथी दवाओं की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं। भारत के साथ ही आज कई ऐसे देश हैं जो होम्योपैथी को लेकर सजग हो रहे हैं और इस चिकित्सा पद्धति को अपना रहे हैं। आपको बता दें कि आज का यह दिन होम्योपैथी के संस्थापक कहे जाने वाले डॉ। सैमुअल हैनिमन की जयंती के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को होम्योपैथी दवाओं के लिए जागरूक करने और स्वास्थ्य पर इन दवाओं से होने वाले फायदों का बारे में बताना है। चलिए जानते हैं इस दिन के बारे में विस्तार से।
क्या है होम्योपैथी का इतिहास?
कहा जाता है कि होम्योपैथी की उपत्ति 5वीं शताब्दी के दौरान हुई थी। इस दौरान चिकित्सा के जनक माने जाने वाले हिप्पोक्रेट्स के द्वारा होम्योपैथी का उपयोग किया गया था। लेकिन होम्योपैथी को प्रमुखता से 19 वीं शताब्दी के दौरान पहचान मिलना शुरू हुई। इस दौरान सैमुअल हैनिमन ने होम्योपैथी का उपयोग कर सफलता पाई। दरअसल ऐसा कहा जाता है कि उस समय में तेजी से फैलती बीमारी पर नैदानिक चिकित्सा असर नहीं कर पा रही थी। ऐसी स्थिति में सैमुअल ने होम्योपैथी को अपनाया और उन्हें सफलता भी मिली।
क्या है इस दिन का उद्देश्य?
होम्योपैथी दिवस को मानाने का प्रमुख उद्देश्य लोगों को होम्योपैथी चिकित्सा के प्रति जागरूक करना है। इसके अलावा चिकित्सा से जुड़े लोगों में होम्योपैथी की शिक्षा को बढ़ावा देना और होम्योपैथी की पहुँच को बढ़ाना है। होम्योपैथी के अनुसार शरीर में खुद को ठीक करने की क्षमता होती है।
कैसे हुआ होम्योपैथी का जन्म?
दरअसल होम्योपैथी दो यूनानी शब्दों से मिलकर बना है 'होमियोस और पथोस'। इनका अर्थ है समान और दुःख। जबकि दुसरे शब्दों में होम्योपैथी उपचार करने के साथ ही रोग का इलाज करने की एक प्रणाली है। जिसमें जड़ी-बूटियों से लेकर सफ़ेद आर्सेनिक का इस्तेमाल किया जाता है।
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