लाइफ की हर स्टेज में महिलाओं को पड़ती है इन पोषक तत्वों की जरूरत, एक्सपर्ट से जानिए कौन से हैं ये
हाइलाइट्स :
महिलाओं का शरीर हर स्टेज में अलग बदलावों से गुजरता है।
उनके लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन, फोलेट जरूरी पोषक तत्व।
गर्भधारण से पहले करें आयरन, फोलेट का सेवन करें।
60 वर्ष के बाद बढ़ाएं कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन।
राज एक्सप्रेस। हर मानव शरीर की पोषण संबंधी जरूरतें अलग अलग होती हैं। फिर भी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए न्यूट्रिएंट्स सभी के लिए एक जैसे होते हैं। खासतौर से जब बात महिलाओं के स्वास्थ्य की हो, तो पोषक तत्व यानी न्यूट्रिएंट्स का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए , क्योंकि महिलाओं का शरीर लाइफ की हर स्टेज में अलग-अलग हार्मोनल बदलावों से गुजरता है। यह हार्मोन न केवल उन्हें भावनात्मक, बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से भी प्रभावित करते हैं। इनसे बचने के लिए उन्हें खास तरह के पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। हालांकि, ज्यादातर महिलाएं पोषक तत्वों के सेवन पर ध्यान नहीं देती, जिससे आगे चलकर उन्हें कई बीमारियां हो जाती हैं। इस संबंध में हमने न्यट्रिशनिस्ट रचना श्रीवास्तव से बात की और जाना कि महिलाओं के लिए कौन से पोषक तत्व जरूरी हैं और किस समय किन- किन पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए।
टीनएज
टीनएज लड़कियों के लिए शारीरिक विकास का समय है। इस समय उन्हें सबसे ज्यादा आयरन और कैल्शियम की जरूरत होती है। आयरन एक जरूरी पोषक तत्व है, जिसकी जरूरत लड़कियों को पीरियड्स शुरू होने के समय पड़ती है। जबकि हड्डी और दांतों के विकास के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी माना जाता है। सेम, बाजरा और हरे पत्तेदार सब्जियों में भरपूर आयरन होता है, जबकि पनीर, दूध, दही से आप कैल्शियम प्राप्त कर सकते हैं।
गर्भधारण से पहले
न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, एक महिला को गर्भवती होने के लिए खुद को पहले से तैयार करने की जरूरत होती है। तभी वह एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है। इसके लिए उसे अपने आहार में प्रोटीन, फैट, फोलेट , कैल्शियम की मात्रा बढ़ानी चाहिए। न्यूट्रिशनिस्ट बताती हैं कि महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता। इसके लिए वे हेल्दी जूस, सलाद, स्प्राउट्स का सेवन कर सकती हैं।
गर्भावस्था
गर्भावस्था के दौरान हर महिला को अपनी और बच्चे की सेहत के लिए आहार में पोषण का ध्यान रखना पड़ता है। भ्रूण को गर्भ में बेहतर पोषण देने के लिए आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, हेल्दी फैट और एंटीऑक्सीडेंट लेना अच्छा है। मेंटल हेल्थ के लिए आयोडीन और न्यूरल ट्यूब डिसऑर्डर को रोकने के लिए फोलिक एसिड का सेवन करना चाहिए। वहीं बच्चे के मस्तिष्क विकास के लिए विटामिन और जिंक बी-12 ले सकते हैं। मां और बच्चे में एनीमिया को रोकने के लिए आयरन की जरूरत सबसे ज्यादा पड़ती है।
प्रेग्नेंसी के बाद
प्रेग्नेंसी के बाद भी महिलाओं का पोषक तत्वों से नाता टूटता नहीं है, बल्कि इन्हें लेना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है। इस समय स्तनपान कराने वाली मां को पोषक तत्व से भरपूर आहार खाने की सलाह दी जाती है। एक्सपर्ट कहती हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर से न्यूट्रिएंट लॉस हो जाता है, जो उनकी कमजोरी का मुख्य कारण है। ऐसे में डिलीवरी के बाद उन्हें विटामिन डी प्राथमिकता से देते हैं।
मेनोपॉज पीरियड
पीरियड्स के स्थायी रूप से बंद हो जाने को मेनोपॉज कहते हैं। इस दौरान कई महिलाओं को मानसिक बदलाव से गुजरना पड़ता है। हड्डियों में कमजोरी, गर्मी, मूड में बदलाव, अवसाद, थकान और सुस्ती जैसे लक्षणों से बचने के लिए उन्हें मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन डी, प्रोटीन, ओमेगा 3 और एंटीऑक्सीडेंट की काफी जरूरत पड़ सकती है।
बुढ़ापा 60 के बाद
जैसे -जैसे उम्र बढ़ती है, महिलाओं के शरीर में मौजूद पोषक तत्वों के अवशोषण में कमी आने लगती है। शरीर जीवन भर ठीक से काम करता रहे, इसके लिए जरूरी है कि अपने आहार में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी न होने दें। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ उनके शरीर में नई बोन सेल्स बनाने की क्षमता कम होने लगती है। ऐसे में पर्याप्त कैल्शियम का सेवन ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करता है।
यहां बताए गए पोषक तत्वों को सप्लीमेंट्स के बजाय भोजन से प्राप्त करना सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होता है। आपको कौन सा पोषक तत्व कितनी मात्रा में लेना है, इसके लिए अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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