World Glaucoma Week : ग्लूकोमा क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
World Glaucoma Week : आंखे हमारे शरीर का महत्वपूर्ण लेकिन एक नाजुक अंग हैं। ऐसे में आंखों के प्रति जरा सी भी लापरवाही हमें बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। खासकर पिछले कुछ सालो में आंखों की गंभीर बीमारी काला मोतिया यानी ग्लूकोमा बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बना रही है। पहले यह बीमारी बुजुर्ग लोगों में देखी जाती थी, लेकिन अब इसने युवाओं को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। हालांकि यह भी सच है कि ज्यादातर लोग इसके बारे में जागरूक नहीं हैं। ऐसे में लोगों को ग्लूकोमा के बारे में जागरूक करने और उन्हें चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस साल 12 मार्च से 18 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है।
ग्लूकोमा क्या है?
दरअसल ग्लूकोमा आंखों से जुड़ी एक बीमारी है। आम बोलचाल की भाषा में इसे काला मोतिया भी कहा जाता है। यह बीमारी मनुष्य के ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। बता दे कि ऑप्टिक तंत्रिका के जरिए ही आंखों से देखी गई चीज हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती है। जिसके चलते हम किसी भी चीज को पहचान पाते हैं। ऐसे में ऑप्टिक तंत्रिका के क्षतिग्रस्त होने से मनुष्य अंधेपन का शिकार हो सकता है।
ग्लूकोमा होने के कारण :
आमतौर पर आंख के अंदर पड़ने वाले सामान्य दबाव के चलते ग्लूकोमा होता है। इसके अलावा ग्लूकोमा होने के कारण है। जैसे आंख के अंदर ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ के जमा होने से, आंखों से पानी निकालने वाली नली के बाधित होने से, आनुवंशिक कारणों से, दवाईयों के बुरे असर से या उच्च रक्तचाप व डायबिटीज भी ग्लूकोमा के कारणों में से एक है।
ग्लूकोमा के लक्षण :
जिस व्यक्ति को ग्लूकोमा की बीमारी हो जाती है, उसकी आंखो की दृष्टी कम होने लगती है। उसे धुंधला दिखाई देता है। आंखे लाल हो जाती है और लगातार सिरदर्द होता रहता है। इसके अलावा आंखों में तेज दर्द, जी मचलाना और उल्टी भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक हैं।
ग्लूकोमा से बचाव :
यह बीमारी धीरे-धीरे हमारी आंखों को नुकसान पहुंचाती है। ऐसे में हम जितना जल्दी इसका इलाज करेंगे, उतना आंखों को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सकता है। इसके लिए हमें लगातार आंखों की जांच करवाते रहना चाहिए। अपने आंखों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाएं। वहीं ग्लूकोमा बीमारी होने से डॉक्टर से इलाज करवाएं।
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