World Milk Day
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World Milk Day : दूध उत्पादन में कैसे आत्मनिर्भर बना भारत? जानिए ‘ऑपरेशन फ्लड’ की कहानी

दूध के महत्व को लोगों तक पहुंचाने और इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए हर साल 1 जून को World Milk Day यानि विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी

World Milk Day : हम बचपन से यह सुनते आ रहे हैं कि खुद को तंदुरुस्त रखने के लिए दूध का सेवन करना चाहिए। दूध हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। कैल्शियम से भरपूर होने के कारण दूध हमारे शरीर के सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में दूध के महत्व को लोगों तक पहुंचाने और इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए हर साल 1 जून को World Milk Day यानि विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा साल 2001 में की गई थी। तो चलिए आज ‘विश्व दुग्ध दिवस’ पर हम भारत में चलाए गए ‘ऑपरेशन फ्लड’ के बारे में जानेंगे, जिसने दूध उत्पादन में बहुत पीछे खड़े भारत को पहले स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया।

1970 में हुई थी शुरुआत

70 के दशक में भारत दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में 50वें नंबर पर हुआ करता था। उस समय किसानों की आय का मुख्य स्रोत खेती हुआ करता था। इससे खेती पर दवाब बढ़ रहा था। ऐसे में खेती पर से दबाव घटाने, दूध उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए साल 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत की गई। इस ऑपरेशन को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने शुरू किया था। उस समय इसके अध्यक्ष थे अमूल के संस्थापक और 'मिल्क मैन ऑफ इंडिया' के नाम से मशहूर डॉ. कुरियन।

क्या था ‘ऑपरेशन फ्लड’?

दरअसल दूध उत्पादन को बढ़ाने और दूध उत्पादक तक सही लाभ पहुंचाने के लिए ‘ऑपरेशन फ्लड’ चलाया गया था। इस ऑपरेशन के तहत अमूल मॉडल अपनाते हुए 700 से अधिक कस्बों और शहरों में उपभोक्ताओं और पूरे भारत के दूध उत्पादकों को जोड़ने के लिए एक राष्ट्रीय दूध ग्रिड बनाया गया। इसके तहत किसानों से दूध जमा करने के लिए गांव-गांव दूध लेने वाले केंद्र बनाए गए। इन केन्द्रों से दूध जमा करने के लिए शहरी स्तर पर केंद्र बनाए गए। इसी तरह शहरी स्तर से दूध जमा करने के लिए जिला स्तर और जिला स्तर से दूध जमा करने के लिए राज्यीय स्तर और फिर राज्यीय स्तर से दूध जमा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र बनाए गए। इसका फायदा यह हुआ कि इससे ना सिर्फ दूध जमा करने का एक सुव्यवस्थित मॉडल बना बल्कि बिचौलियों को हटाकर दूध उत्पादकों को दूध का उचित मूल्य मिलने लगा। इससे फायदा होता देख लोगों का रुझान दूध उत्पादन की तरफ तेजी से बढ़ा और इस तरह देश में श्वेत क्रांति की शुरुआत हुई।

दूध उत्पान में भारत बना नंबर 1

यह श्वेत क्रांति का ही असर था कि दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में 50वें नंबर पर मौजूद भारत साल 1998 तक अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए पूरी दुनिया में पहले स्थान पर पहुंच गया। इससे गांवों में लाखों लोगों को रोजगार मिला। आज भी दूध उत्पादन में भारत का परचम पूरी दुनिया में लहलहा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2021-22 में वैश्विक दूध उत्पादन का 24 प्रतिशत उत्पादन अकेले भारत ने किया।

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