इन 10 लक्षणों से करें ‘सर्वाइकल कैंसर’ की पहचान

ब्रेस्ट कैंसर के बाद सबसे ज्यादा महिलाएं सर्वाइकल कैंसर का शिकार होती हैं। महिलाओं के गर्भाशय के सबसे निचले हिस्से में सर्विक्स होता है इसी सर्विक्स में होने वाले कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहते हैं।
सर्वाइकल कैंसर' की पहचान
सर्वाइकल कैंसर' की पहचानsocial media

राज एक्सप्रेस। भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सबसे ज्यादा महिलाएं सर्वाइकल कैंसर का शिकार होती हैं। महिलाओं के गर्भाशय के सबसे निचले हिस्से में (गर्भाशय और योनि को जोड़ने वाला हिस्सा) सर्विक्स होता है। इसी सर्विक्स में होने वाले कैंसर को सर्वाइकल कैंसर कहते हैं। 35-40 साल की उम्र के बाद जब महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होते हैं या ब्लड ज्यादा निकलता है, तो वो इसे सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देती हैं। मगर ये 'सर्वाइकल कैंसर' का शुरूआती संकेत हो सकता है। ये एक खतरनाक कैंसर है क्योंकि सर्वाइकल से फैलते हुए ये कैंसर लिवर, ब्लैडर, योनि, फेफड़ों और किडनी तक पहुंच जाता है। हालांकि ये कैंसर बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन कुछ शुरूआती लक्षणों से इसे पहचाना जा सकता है।

सर्वाइकल कैंसर के 10 सामान्य लक्षण

  1. पीरियड्स अनियमित हो जाना
  2. पीरियड्स में सामान्य से ज्यादा खून निकलना
  3. सफेद पदार्थ का निकलना
  4. शारीरिक संबंध के बाद खून निकलना
  5. पेट के निचले हिस्से में दर्द या सूजन
  6. बार-बार यूरिन आना
  7. बहुत अधिक थका हुआ महसूस करना
  8. अक्सर हल्का बुखार और सुस्ती रहना
  9. भूख न लगना या बहुत कम खाना
  10. सीने में जलन और लूज़ मोशन आदि

क्यों होता है सर्वाइकल कैंसर :

लगभग 98% मामलों में एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) वायरस के फैलने से सर्विक्स कैंसर होता है। आनुवांशिकता इसकी प्रमुख वजह है। अब तक किए गए अध्ययनों के अनुसार फैमिली हिस्ट्री होने पर स्त्रियों में सर्विक्स कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। गर्भाशय में चोट लगने से भी ऐसी समस्या हो सकती है। सिगरेट में मौज़ूद निकोटिन को भी इसके लिए जि़म्मेदार माना जाता है इसलिए सिगरेट पीने वाली महिलाओं में ये समस्या देखी जाती है। कुपोषण और पर्सनल हाइजीन की कमी होने पर भी यह समस्या हो सकती है। यह एसटीडी यानी सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिज़ीज़ है, इसलिए कम उम्र में या असुरक्षित सेक्स और एक से ज्यादा पार्टनर्स के साथ संबंध को इसका प्रमुख कारण माना जाता है।

आसान है सर्वाइकल कैंसर की जांच :

ज्यादातर मामलों में एडवांस स्टेज में ही इसका पता चल पाता है, लेकिन पैप स्मीयर टेस्ट से इसके बारे में पता लगाया जा सकता है। ये जांच हर शहर में आसानी से उपलब्ध है। इसके ज़रिये कैंसर शुरू होने से पहले की अवस्था को आसानी से पहचाना जा सकता है। जागरूकता के अभाव में ज़्यादातर स्त्रियां यह जांच नहीं करवातीं और अंतत: सर्विक्स कैंसर की शिकार हो जाती हैं। अगर शुरूआती दौर में ही उपचार शुरू किया जाए तो इसे आसानी से दूर किया जा सकता है।

'सर्वाइकल कैंसर' को रोकने के लिए कुछ सुझाव :

  • नियमित तौर पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाना चाहिए।

  • अनियमित यौन संबंधों से परहेज करना चाहिए।

  • धूम्रपान से बचना चाहिए।

  • हेल्दी और पोषक आहार लेना चाहिए।

  • महिलाओं को संक्रमण से बचने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन करने चाहिए।

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