हरतालिका तीज आज
हरतालिका तीज आजSyed Dabeer Hussain - RE

हरतालिका तीज आज, जानिए कैसे माता पार्वती ने शिवजी को किया प्रसन्न

हर वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में इस दिन का काफी महत्व है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

राज एक्सप्रेस। हिंदू धर्म में कई ऐसे व्रत और पर्व मनाए जाते हैं, जिनका नाता कई पौराणिक मान्यताओं के साथ जुड़ा हुआ है। इन्हीं में से एक है हरतालिका तीज। कुंवारी और शादीशुदा महिलाओं के लिए यह व्रत काफी महत्व रखता है। इस दिन वे निर्जला व्रत रखती हैं, भगवान शिव की पूजा करती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। हिंदू धर्म में इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस साल यह व्रत आज यानि 30 अगस्त को है। आज हम आपको इस पावन पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और विधि बताने वाले हैं।

हरतालिका तीज की कथा और महत्व :

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने तप करना शुरू किया था। जिसके लिए माता ने गंगा नदी के तट पर कठोर तपस्या की। लेकिन जब उनके पिता ने उन्हें ऐसी स्थिति में देखा तो वे बेहद दुखी हुए। जिसके बाद एक दिन भगवान विष्णु की तरफ से महर्षि नारद पार्वती जी के लिए विवाह प्रस्ताव लेकर गए। मगर पार्वती को इससे दुख पहुंचा और वे वन में जाकर भगवान शिव की आराधना में लीन हो गईं। इस बीच भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया को माता ने अपने हाथों से शिवलिंग का निर्माण किया और रात्रि जागरण करते हुए आराधना की। इसके उपरांत भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए और अपनी पत्नी के रूप में उन्हें स्वीकार किया। तभी से इस व्रत को महिलाओं के लिए विशेष और फलदायी माना जाता है।

हरतालिका तीज का मुहूर्त :

हरतालिका तीज 29 अगस्त की दोपहर 3:20 बजे से अगले दिन यानि 30 अगस्त की दोपहर 3:33 बजे तक रहने वाली है। इसके अलावा आज के दिन सुबह 6:05 बजे से 8:38 बजे तक और शाम 6:33 बजे से 8:51 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।

हरतालिका तीज की पूजन विधि :

सबसे पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा को मिटटी या रेत की मदद से तैयार करें। इसके बाद पूजा स्थल को फूलों से सजाने के बाद यहां चौकी की स्थापना करें और फिर केले के पत्ते रख उस पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। अब पूजा की शुरुआत करते हुए माता पार्वती को सुहाग की सभी वस्तुएं चढ़ाएं। जबकि भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएं। रात्रि जागरण करते हुए कथा सुनें और बड़ों के चरण स्पर्श करें। आरती करने के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और भोग लगाकर अपना व्रत खोलें।

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