क्या है उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का महत्व
क्या है उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का महत्वSyed Dabeer Hussain - RE

सावन शुरू होने से पहले जान लें उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का महत्व

महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन जिले में स्थित है। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। कहते हैं शिव के अनेक रूप हैं। भगवान शिव दुनियाभर में अनेक स्थानों पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं।

उज्जैन, मध्य प्रदेश। महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन जिले में स्थित है। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। कहते हैं शिव के अनेक रूप हैं। भगवान शिव दुनियाभर में अनेक स्थानों पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। यदि भारत की बात की जाए तो, भारत देश मे 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग है। जिसमें से उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान महाकाल ज्योतिर्लिंग, शिव जी का तीसरा ज्योतिर्लिंग कहलाता है।

महाकालेश्वर मंदिर में क्या है अलग :

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान महाकाल ज्योतिर्लिंग, शिव जी का तीसरा ज्योतिर्लिंग कहलाता है। यह ज्योतिर्लिंग अन्य से अलग इसलिए है क्योंकि, यह एक मात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। कहते है इसके दर्शन मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। भगवान महाकालेश्वर के इस नगर उज्जैन में एक-दो नहीं बल्कि 33 करोड़ देवता छोटे-बड़े मंदिरों में विराजते हैं। महाकाल को उज्जैन का राजा कहा जाता है।

महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास :

मराठों के शासनकाल में उज्जैन में दो महत्त्वपूर्ण घटनाएं घटीं थी। जो किसी बहुत बड़ी उपलब्धि से कम नहीं थी। आगे चलकर राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार कराया।

  • पहली घटना - महाकालेश्वर मंदिर का पुनिर्नर्माण

  • दूसरी घटना - ज्योतिर्लिंग की पुनर्प्रतिष्ठा तथा सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना

महाकालेश्वर मंदिर की बनावट :

'महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग' का अपना एक अलग महत्व है। मंदिर एक परकोटे के भीतर स्थित है। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए एक सीढ़ीदार रास्ता है। इसके ठीक उपर एक दूसरा कक्ष है जिसमें ओंकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है। यहां शिवलिंग का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जाता है। मंदिर का क्षेत्रफल 10.77 x 10.77 वर्गमीटर और ऊंचाई 28.71 मीटर है। मंदिर से लगा एक छोटा-सा जलस्रोत है जिसे कोटितीर्थ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इल्तुत्मिश ने जब मंदिर को तुड़वाया तो शिवलिंग को इसी कोटितीर्थ में फिकवा दिया था। बाद में इसकी पुनर्प्रतिष्ठा करायी गयी। महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था के लिए एक प्रशासनिक समिति का गठन किया गया है जिसके निर्देशन में यहां की व्यवस्था सुचारु रूप से चल रही है।

महाकालेश्वर मंदिर का मुख्य आकर्षण :

1. महाकाल की भस्म आरती :

प्रतिदिन सुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए कई महीनों पहले से ही बुकिंग होती है। इस आरती की खासियत यह है कि, इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है कहा जाता है कि "यदि आपने महाकाल की भस्म आरती नहीं देखी तो आपका महाकालेश्वर दर्शन अधूरा है"। इस आरती का एक नियम यह भी है कि इसे महिलाएं नहीं देख सकती हैं। इसलिए आरती के दौरान कुछ समय के लिए महिलाओं को घूंघट करना पड़ता है। आरती के दौरान पुजारी केवल धोती में होते हैं। इस आरती में अन्य वस्‍त्रों को धारण करने का नियम नहीं है। महाकाल की आरती भस्‍म से होने के पीछे ऐसी मान्यता है कि महाकाल श्मशान के साधक हैं और यही उनका श्रृंगार और आभूषण है। महाकाल की पूजा में भस्‍म का विशेष महत्व है और यही इनका सबसे प्रमुख प्रसाद है। ऐसी धारणा है कि शिव के ऊपर चढ़े हुए भस्‍म का प्रसाद ग्रहण करने मात्र से रोग दोष से मुक्ति मिलती है।

2. नागचंद्रेश्वर मंदिर :

चमत्कारी नागचंद्रेश्वर मंदिर वर्ष में एक बार केवल नागपंचमी को ही श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला जाता है। यहां हर साल श्रावण मास (सावन के महीने) में भगवान महाकाल की शाही सवारी निकाली जाती हैं। यहां की ऐसी मान्यता भी है कि, यहां नागपंचमी के दिन नागदेवता खुद दर्शन देते है और भक्तो की भीड़ में वो दर्शन जिसको भी होते है वो बहुत किस्मत का धनी माना जाता है।

3. सिंहस्थ मेला :

सिंहस्थ मेले के बारे में यह कहा जाता है कि, जब समुद्र मंथन के पश्चात देवता अमृत कलश को दानवों से बचाने के लिए वहां से पलायन कर रहे थे, तब उनके हाथों में पकड़े अमृत कलश से अमृत की बूंद धरती पर जहां-जहां भी गिरी थी, वो स्थान पवित्र तीर्थ बन गए। उन्हीं स्थानों में से एक उज्जैन है। यहाँ प्रति बारह वर्ष में सिंहस्थ मेला आयोजित होता है। जिसे इसी वजह से कुम्भ का मेला भी कहते है।

विदेश से भी दर्शन के लिए आते है लोग :

हिन्दू धर्म में भगवन शिव जी की बहुत मान्यता है और यहां ज्यादातर हिन्दू धर्म के लोग दर्शन करने आते है। हालांकि, उज्जैन का महाकाल मंदिर एक ऐसा स्थान है। जहां, विदेश से भी लोग दर्शन करने और घूमने के लिए आते है। यहाँ आकर मन में शांति का अनुभव होता है। गौरतलब है कि, सोमवार का दिन शिवजी का दिन माना जाता है। इसलिए हर सोमवार को यहां काफी भीड़ देखने को मिलती है। इसके अलावा महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।

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