क्यों प्रसिद्ध है त्रयंबकेश्वर मंदिर
क्यों प्रसिद्ध है त्रयंबकेश्वर मंदिरSyed Dabeer Hussain - RE

जानिए क्यों प्रसिद्ध है त्रयंबकेश्वर मंदिर? दो बार हो चुकी है घुसपैठ की कोशिश

यह मंदिर भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। इस मंदिर के समीप स्थित ब्रह्मगिरी पर्वत से गोदावरी नदी निकलती है जिसे काफी पवित्र कहा गया है।

राज एक्सप्रेस। हाल ही में महाराष्ट्र के त्रयंबकेश्वर महादेव मंदिर में दूसरे समुदाय के युवकों की जबरन घुसपैठ का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि नासिक पुलिस ने उक्त मामले में FIR दर्ज कर ली गई है, जबकि साथ ही महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडनवीस ने भी एसआईटी से इसकी जांच कराने के आदेश दिए हैं। हालाँकि यह पहली बार नहीं है जब त्रयंबकेश्वर मंदिर में इस तरह की घुसपैठ देखी गई है। तो चलिए जानते हैं इस घटना और मंदिर की खासियत के बारे में विस्तार से।

पहले भी हुई है घुसपैठ

पीछले साल के दौरान गैर हिन्दू समुदाय के लोगों ने मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर जाने की कोशिश की थी। जिसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया था। जबकि इस साल फिर से जबरन घुसने का मामला सामने आया है। मामले में पुलिस ने 5 युवकों को अरेस्ट भी कर लिया गया है।

क्या है त्रयंबकेश्वर मंदिर की खासियत?

बता दें कि त्रयंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के नासिक में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। इस मंदिर के समीप स्थित ब्रह्मगिरी पर्वत से गोदावरी नदी निकलती है जिसे काफी पवित्र कहा गया है। त्रयंबकेश्वर शिवलिंग की सबसे खास बात है कि इसके तीन मुख हैं। जिन्हें भगवान ब्रह्मा, शिव और विष्णु का स्वरूप माना जाता है।

क्या है मंदिर की कहानी?

एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी पर्वत पर अहिल्या देवी के पति ऋषि गौतम रहते थे। लेकिन उनके आसपास रहने वाले ऋषि उनसे ईर्ष्या करते थे। इसी के चलते उन्होंने ऋषि गौतम पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। उन सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि से कहा कि इस पाप का प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने गंगा को इस जगह लाना होगा। इसके बाद गौतम ऋषि ने शिव जी की पूजा करना शुरू कर दिया। आखिरकार एक दिन प्रसन्न होकर भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें दर्शन दिया और आशीर्वाद मांगने के लिए कहा। तब गौतम ऋषि ने उनसे गंगा को वहां भेजने का आशीर्वाद माँगा लेकिन गंगा ने कहा कि अगर भगवान शिव वहां रहेंगे तभी वे उस जगह रहेंगी। यह सुनकर भगवान शिव त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप रुक गए और गंगा ने गौतमी नदी (गोदावरी) का रूप ले लिया।

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