करोड़ों सूर्य के समान प्रभावशाली लिंग रूप में प्रकट हुए शिव

फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन शिवजी करोड़ों सूर्य के समान प्रभावशाली लिंग रूप में प्रकट हुए।
करोड़ों सूर्य के समान प्रभावशाली लिंग रूप में प्रकट हुए शिव
करोड़ों सूर्य के समान प्रभावशाली लिंग रूप में प्रकट हुए शिवसांकेतिक चित्र

हाइलाइट्स :

  • जीवनरूपी चन्द्रमा का शिवरूपी सूर्य से होगा मिलन

  • शिव योग में ग्रहों का बन रहा विशेष संयोग

  • त्रयोदशी चतुर्दशी के सुयोग में मनेगी महाशिवरात्रि

राज एक्सप्रेस। फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन शिवजी करोड़ों सूर्य के समान प्रभावशाली लिंग रूप में प्रकट हुए। महाशिवरात्रि के दिन शिव व सिद्ध के साथ श्रीवत्स महायोग में जीवनरूपी चन्द्रमा का शिवस्वरूप सूर्य से मिलन होगा । महाशिवरात्रि शिवाराधना की सर्वश्रेष्ठ रात्रि है।

आचार्य पण्डित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने बताया कि 11 मार्च गुरुवार को त्रयोदशी तिथि दोपहर 2.39 बजे तक है बाद में चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी जो दूसरे दिन दोपहर 3 बजकर 2 मिनिट तक रहेगी।

ग्रहों का बन रहा है विचित्र संयोग :

अत: महाशिवरात्रि का पर्व त्रयोदशी व चतुर्दशी के संयोग में मनेगा। धनिष्ठा व शतभिषा नक्षत्र, गुरुवार ,शिव सिद्ध व श्रीवत्स महायोगमकर व कुम्भ का चन्द्रमा, कुम्भ का ही सूर्य व शुक्र तथा मकर के शनि व गुरु में मनेगा। शिवरात्रि पर छ: ग्रह शनि प्रधान मकर व कुम्भ राशि में रहेंगे। संयोग से बुध भी दोपहर 12:35 मिनिट पर शनि प्रधान कुम्भ राशि मे प्रवेश कर शिव रात्रि को मंगल व लोक कल्याणकारी बनायेंगे। प्रात: 6:19 बजे से दोपहर 2:40 वजे तक अमृत योग भी रहेगा, साथ ही शनि की मकर व कुम्भ राशि मे विराजमान सात ग्रह अनेकानेक शुभाशुभ योग निर्मित कर शिवरात्रि को शिवभक्तों के लिए कुछ खास बना रहे है। गुरुवार को त्रयोदशी तिथि के साथ धनिष्ठा नक्षत्र होने से श्रीवत्स योग नामक शुभयोग बनरहा है। शिव, सिद्ध व श्रीवत्स योग में आध्यात्मिक शक्तियाँ जागृत होगी जो देश दुनिया का कल्याण कर शिव- भक्तों को निरोग रखेगी। शिवरात्रि के देवता भगवान शिव है व 'शिव योग' सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाला है।

इस दिन उपवास का विशेष महत्व है :

शिवजी की कृपा प्राप्ति हेतु आठों प्रहर शिव आराधना से बाबा की कृपा प्राप्त होती है। शिव रात्रि को उपवास व जागरण का विशेष महत्व है। आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि शिवजी को जलधारा विशेष प्रिय है। शिवरात्रि को शिवलिंग का पंचामृत अभिषेक करने से वंश की वृद्धि होती है व शिवजी की असीम कृपा। शिव पूजन में जलधारा, पंचामृत अभिषेक व अर्धरात्रि में महानिशीथ काल में नम: शिवाय इस पंचाक्षरी मंत्र व महामृत्युंजय (मृत संजीवनी) मंत्र का जो शिव भक्त जप करता है वह असाध्य रोगों से भी मुक्ति पा लेता है। आचार्य शर्मा वैदिक ने बताया कि त्रयोदशी चतुर्दशी के संयोग के साथ ही शिव व सिद्ध योग के दुर्लभ संयोग में जो शिवभक्त उपवास व जागरण के साथ रात्रि में चारों प्रहर शिवजी की विविध पूजा उपचारों से सविधि शुद्धता व पवित्रता से शिवार्चना करते है उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।जिन कन्याओं को सुयोग्य वर की चाह हो वे जागरण के साथ उपवास अवश्य करें। महा रात्रि में ही जीवनरूपी चन्द्रमा का शिवरूपी सूर्य से सम्मिलन हुआ था यही महाशिवरात्रिका रहस्य है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वयं शिव हैं और इस वर्ष शिव - साध्य योग में शिवजी का यह पर्व मनाया जाएगा निश्चित ही यह देश दुनिया का कल्याण कर आरोग्यता प्रदान करेगा । वैश्विक महामारी कोरोना व प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति हेतू देशवासी करे सामूहिक महामृत्युंजय साधना व शिव अर्चना । बारह ज्योतिर्लिंगों में इस महामारी से निजात पाने के लिए ? नम: शिवाय का शिवरात्रि को अखंड जप व अर्चना करें, शिवजी की कृपा बनी रहेगी।

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