दीपावली पर 499 वर्ष बाद बना महासंयोग, सर्वार्थसिद्धि योग में होगी पूजा

Diwali 2020 : धनतेरस, रूप-नरक चतुदर्शी, दीपावली, गोवर्धन पूजा-अन्नकूट, भाईदूज पर समापन। धनतेरस को बाजारों में होगी धन वर्षा, अधिकमास के कारण उपरोक्त त्यौहार एक माह देरी से।
दीपावली पर 499 वर्ष बाद बना महासंयोग
दीपावली पर 499 वर्ष बाद बना महासंयोगSocial Media

Diwali 2020। ज्योतिषानुसार पांच दिवसीय दीपावली पर्व का शुभारंभ धनतेरस, रूप नरक चतुदर्शी, दीपावली लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट, भाईदूज पर पर्व का समापन माना गया है। धनतेरस को बाजारों में रौनक के साथ होगी धनवर्षा, करोड़ों का कारोबार होगा। कार्तिक मासे कृष्ण पक्ष 13 प्रदोष व्रत के साथ धन्वतरि जयंती के साथ धनतेरस गुरुवार 12 नवम्बर को मनाई जावेगी। धन्वतरि इस दिन आयुर्वेद के देवता समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। बर्तन, चांदी के सिक्के, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, वस्त्र, पूजा-पाठ की सामग्री, सजावट का सामान, धातु से संबंधित सामान खरीदने की प्रथा है। मां चामुण्डा दरबार के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे एवं ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया धनतेरस पूजा एवं क्रय का शुभ समय: गोधूलि रात्रि 6.00 से 7.30 अमृत, रात्रि 7.30 से 9.00 चर। चुनाव परिणाम के कारण मिठाई, बम पटाखे, रोशनी, सजावट विशेष रूप से देखने को मिलेगी।

रूप नरक चतुर्दशी :

कार्तिक कृष्ण पक्ष 14 रूप (नरक) चतुर्दशी शुक्रवार 13 नवंबर जो लोग नरक चतुर्दशी यानी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी का व्रत रखना चाह रहे हैं उन्हें 13 नवंबर दिन शुक्रवार को ही धनतेरस के दिन व्रत करना चाहिए यह शास्त्र स मत होगा। इसकी वजह यह है कि चतुर्दशी तिथि मासिक शिवरात्रि है। इसमें नियम यह है कि जिस दिन मध्यरात्रि में यानी निशीथ काल में चतुर्दशी तिथि हो उसी दिन व्रत रखना चाहिए। रात्रि 9.00 से 10.30 लाभ में चौमुख दीपक जलाकर द्वार पर रखें। यमलोक के दर्शन नहीं होते और रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है। लेकिन जो लोग चतुर्दशी तिथि का व्रत रखते हैं उनके लिए व्रत का खास नियम है। चतुर्दशी तिथि हो उसी दिन व्रत रखना चाहिए। महिलाएं 16 श्रृंगार करके अपने घरों में पूजा करती है।

दीपावली लक्ष्मी पूजन :

कार्तिक कृष्ण पक्ष 30 शनिवार 14 नवम्बर को स्वाति नक्षत्र में सिद्धि योगा में दीपावली लक्ष्मी पूजा सर्वार्थसिद्धि योग में होगी। महासंयोग 17 वर्षों बाद आया है। 2003 के बाद 2020 में यह योग बना है। गुरु स्वराशि धनु में शनि स्वराशि मकर में, शुक्र मित्र राशि कन्या में रहेगे। पूर्व में यह संयोग दीपावली पूजा 9 नवम्बर 1521 में बना था। वर्तमान में दीपावली पूजा पर 14 नवम्बर 2020 को बन रहा है। यह संयोग 499 वर्ष बाद बना है। दीपावली का त्यौहार हर घर में मनाया जाता है। रामायण के अनुसार अयोध्या के राजकुमार राम को अपने पिता राजा दशरथ द्वारा अपने देश से चौदह वर्ष तक जाने और जंगलों में रहने के लिए आदेश मिला था। तो, इसलिए प्रभु श्री राम 14 साल तक अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ निर्वासन में चले गए। जब दानव राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया, तो प्रभु श्री राम ने उसके साथ युद्ध किया और रावण का वध कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि प्रभु श्री राम ने सीता को बचाया और चौदह वर्षों के बाद अयोध्या लौट आये। अयोध्या के लोग राम, सीता और लक्ष्मण का स्वागत करते हुए बेहद खुश थे। अयोध्या में राम की वापसी का उत्सव मनाने के लिए, घरों में दिए (छोटे मिट्टी के दीपक) जलाये गए, पटाखे छोड़े गए, आतिशबाजी की गयी और पूरे शहर अयोध्या को अच्छे से सजाया गया। ऐसा माना जाता है कि यह दिन दिवाली परंपरा की शुरुआत है। हर साल, भगवान राम की घर वापसी को दीवाली पर रोशनी, पटाखे, आतिशबाजी और काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिन 1.30 से 3.00 लाभ, व्यापार केंद्रों ने पूजा का समय दिन 3.00 से 4.30 अमृत, गोधूलि शाम 6.00 से 7.30 लाभ सर्वश्रेष्ठ, रात्रि 9.00 से 10.30 शुभ, रात्रि 10.30 से 12.00 अमृत, मंगल मीन में वक्री से मार्गी होंगे। समय मंगलकारी रहेगा। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त पूजा का गोधूलि शाम 5.40 से रात्रि 8.15 तक। लक्ष्मीजी, गणेश सरस्वती माता लाभ, सुख-शांति के साथ समृद्धि प्रदान करेगी।

गोवर्धन पूजा-अन्नकूट :

कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रतिपदा रविवार 15 नवम्बर को दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा की जावेगी। श्री कृष्ण ने किया था। इस दिन प्रकृति के आधार, पर्वत के रूप में गोवर्धन की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. यह पूजा ब्रज से आर भ हुई थी और धीरे धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई। गोवर्धन पूजा सायं काल मुहूर्त - दोपहर बाद 3.17 बजे से सायं 5.24 बजे तक।

भाईदूज पूजा सर्वार्थसिद्धि योग में होगी :

कार्तिक शुक्ल द्वितीया सोमवार 16 नवम्बर सर्वार्थसिद्धि योग में भाईदूज पर्व मनाया जावेगा। पूर्व काल में यमुना ने यमदेव को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। जिससे उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और वे तृप्त हुए। बहन को भाई द्वारा उपहार वस्त्र, दक्षिणा देकर चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए। भाई दूज तिलक मुहूर्त: 1.10 से 3.17 बजे तक।धनतेरस, रूप नरक चतुर्दशी, दीपावली पूजन, गोवर्धन पूजा अन्नकूट एवं भाईदूज के साथ दीपावली के पांच दिवसीय त्यौहार का समापन होगा।

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