इस बार भी दो दिन मनेगी मकर संक्राति
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Makar Sankranti 2022 : इस बार भी दो दिन मनेगी मकर संक्राति

मकर संक्रांति हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर ऋतु परिवर्तन करता है और शिशिर ऋतु का प्रारंभ होता है। मकर संक्रांति से देवताओं का दिन आरंभ होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। पिछले कई वर्षों से मकर संक्राति 14 और 15 दो दिन मनाई जा रही थी, इस बार भी मकर संक्राति का पर्व 14 व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। शास्त्रों के मुताबिक सूर्य अस्त होने से पहले जिस दिन सूर्य राशि परिवर्तन करता है, उसी दिन उसका पर्व मनाया जाता है। इस कारण निर्णय सागर, राजधानी पंचांग, चिंता हरणी पंचांग आदि में 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति का पर्व मनाने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा उदया तिथि की महत्वता के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान, दान मत मतानुसार के साथ लोग करेंगे।

मकर संक्रांति हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर ऋतु परिवर्तन करता है और शिशिर ऋतु का प्रारंभ होता है। मकर संक्रांति से देवताओं का दिन आरंभ होता है, जो आषाढ़ मास तक रहता है। बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार पौष माह में मकर संक्रंति के दिन आनंद नाम का संवत्सर रहेगा। शुक्ल योग के बाद ब्रह्म योग रहेगा, साथ ही मित्र मानव योग आनंदी योग में रोहिणी नक्षत्र रहेगा। इस बार मकर संक्रांति शुक्रवारयुक्त होने के कारण मिश्रित फलदायक रहेगी। इस दिन सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में दोपहर 2.32 पर प्रवेश करेंगे। इसके चलते पुण्य काल सूर्य अस्त 5.55 तक यानी 3 घंटा 37 मिनट तक रहेगा। इस वर्ष मकर संक्रांति का वाहन बाघ और उप वाहन घोड़ा तथा हाथों में गदा रूपी शस्त्र रहेगा। मकर संक्रांति के दिन से रातें छोटी होने लगेंगी और दिन बड़े होने शुरू हो जाएंगे।

क्या पड़ेगा प्रभाव :

विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए यह समय अच्छा रहेगा। महंगाई कम होगी। लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। राष्ट्रों के बीच संबंध मधुर होंगे। अनाज भंडार में वृद्धि होगी।

तिल के दान का विशेष महत्व :

तिल का उबटन, तिल मिले जल से स्नान, तिल से हवन, तिल का सेवन, तिल मिले जल का सेवन, तिल सामग्री का यथाशक्ति दान।

खिचड़ी का महत्व :

मकर संक्राति के दिन विशेषताएं खिचड़ी बनाने खाने और खिचड़ी का दान करना शुभ माना जाता है, इसलिए बहुत सी जगह पर इस पर्व को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार चावल चंद्रमा का प्रतीक है और काली उड़द की दाल शनि का प्रतीक मानी जाती है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने से कुंडली के ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है। इस कारण इस दिन खिचड़ी खाने और दान करने करने का महत्व है।

मकर संक्रांति का राशिगत फल :

  • मेष - इष्ट सिद्धि की प्राप्ति

  • वृषभ - धन लाभ के योग

  • मिथुन - कष्टकारी समय

  • कर्क - सम्मान बढ़ेगा

  • सिंह - भय प्राप्ति

  • कन्या - ज्ञान व बुद्धि बढ़ेगी

  • तुला - कलह

  • वृश्चिक - लाभ

  • धनु - संतोष

  • मकर - धन लाभ

  • कुंभ - हानि

  • मीन - लाभ

मकर संक्रांति का महत्व :

धार्मिक और संस्कृति दोनों ही दृष्टिकोण से मकर संक्रांति का पर्व खास महत्व रखता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं। जिस कारण यह पर्व पिता पुत्र के इस अनोखे मिलन का प्रतीक है। वहीं, नई फसल, नई ऋतु के आगमन के तौर पर भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक तिल से बने मीठे पकवान बनाने की परंपरा और दान देने की परंपरा मकर संक्रांति के दिन होती है।

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