राज एक्सप्रेस। हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का बहुत महत्व है। ऋषि पंचमी का दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं उपवास करती हैं और जाने-अनजाने में हुए पापों के लिए भगवान से क्षमा मांगती हैं। यह दिन गणेश चतुर्थी के अगले दिन आता है,हिंदू महिलाएं बहुत उत्साह के साथ पूजन करती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को सभी महिलाओं को खासतौर पर करना चाहिए। चलिए आज हम आपको इस व्रत का महत्व और इसके उद्यापन की विधि बताते हैं।
क्यों करते हैं ऋषि पंचमी व्रत?
शास्त्रों के अनुसार महिलाओं को महावारी के पहले दिन चांडालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी और तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र माना जाता है। इनके बाद चौथे दिन स्नानादि के बाद वे शुद्ध होती है। इस बीच जाने-अनजाने में महिला द्वारा हुए पापों से मुक्ति पाने के लिए ऋषि पंचमी का पूजन किया जाता है।
ऋषि पंचमी का महत्व :
इस साल यह दिन 1 सितम्बर 2022 को मनाया गया है। महिलाओं के लिए खासतौर पर महत्व रखने वाले इस व्रत के दिन सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस व्रत को महिलाओं के पाप नष्ट कर, बेहतर स्वास्थ्य देने वाला बताया गया है। ऐसा कहते हैं कि यदि कोई महिला पूरे विश्वास के साथ यह व्रत करती है तो उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
कैसे करें व्रत का उद्यापन?
सर्वप्रथम सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
अब पूजन घर को गाय के गोबर से लीपें और यहाँ सप्तऋषि और देवी अरूंधती की प्रतिमा बनाएं।
इसके बाद इस जगह पर कलश की स्थापना करें। स्थापना होने के बाद हल्दी, कुमकुम ,चदंन, पुष्प, चावल से कलश की पूजा करें।
"कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।। गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।" मंत्र का जाप करें।
अब ऋषि पंचमी की कथा को सुनने के बाद सात पुरोहितों को सप्तऋषि मानकर भोजन कराएं। भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा दें और पूजा होने के बाद गाय को भी भोजन कराएं।
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