राज एक्सप्रेस। पश्चिमी देशों की तरह भारत में आज भी तलाक एक सामान्य घटना नहीं है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहती है कि बीते दो दशकों में भारत में तलाक के मामले दोगुने बढ़ गए हैं, लेकिन यह अभी भी पश्चिमी देशों के मुकाबले में बहुत कम है। भारत में तलाक के चलते महिलाओं को काफी सामाजिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में तलाक के बाद महिला अपनी गुजर-बसर कर सके, इसके लिए वह एलिमनी की मांग कर सकती है। तो चलिए हम जानते हैं कि एलिमनी क्या होती है? कितने प्रकार की होती है? और यह कब और किसे मिल सकती है?
एलिमनी क्या होती है?
एलिमनी का मतलब होता है गुजारा भत्ता यानि तलाक के बाद या पहले कोई महिला अपनी गुजर-बसर के लिए पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है। पति गुजारा भत्ता देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य होता है। गुजारा भत्ता कितना होगा यह पति और पत्नी दोनों के इंटरेस्ट को ध्यान में रखकर तय किया जाता है।
कितने प्रकार की होती है?
एलिमनी मुख्यतः दो प्रकार की होती है। पहली जब पति-पत्नी के तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा हो, तब पति अपनी पत्नी को मेंटेनेंस अमाउंट देता है। दूसरी जब पति-पत्नी का तलाक हो जाता है, तब एक साथ, मासिक या तिमाही आधार पर एक निश्चित रकम पति अपनी पत्नी को देता है।
पति को भी मिलती है एलिमनी?
वैसे तो आमतौर पर पति अपनी पत्नी को एलिमनी देता है, लेकिन कुछ मामलों में पत्नी भी अपने पति को एलिमनी देती है। यह स्थिति तब निर्मित होती है जब पति की कमाई कम या बेरोजगार हो और पत्नी की कमाई अधिक हो।
कैसे तय होती है एलिमनी?
पति अपनी पत्नी को कितनी एलिमनी देगा, यह कोर्ट तय करता है। इसके लिए कोर्ट पांच बातों का खास ध्यान रखता है।
पहली : पति की सैलेरी
दूसरी : पति की संपत्ति
तीसरी : बच्चों की पढ़ाई
चौथी : पति के घरवालों का खर्च और
पांचवीं : यदि बच्चे हैं तो वह किसके साथ रहते हैं।
इन सब चीजों को ध्यान में रखकर ही कोर्ट एलिमनी की रकम तय करता है।
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