राज एक्सप्रेस। भारत सरकार द्वारा काले धन के खिलाफ नोटबंदी की घोषणा आज ही के दिन 8 नवंबर को वर्ष 2016 में रात 8 बजे हुई थी, हालांकि इस मामले को लेकर काफी प्रदर्शन भी हुए, कुछ लोगों ने नाराजगी जाहिर की और आज भी नोटबंदी की चर्चा होती ही रहती है, लेकिन देखते ही देखते आज इसे पूरे दिन साल हो गए है, जी हां! आज नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ है। यूं तो, नोटबंदी का फैसला राजनीतिक व आर्थिक था, किंतु इस आर्थिक नोटबंदी के बाद से ही देश में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था और इस परेशानी को लोग अब तक भूले नहीं हैं।
देशवासियों को लगा था जोर का झटका :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक रातोंरात देश को संबोधित किया, पहले तो लोगों ने उनके इस संबोधन को ऐसे ही सामान्य समझा, परंतु जब 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन अब नहीं रहेगा या ये कहे कि, बंद होंगे, यह सुनते ही देशवासियों को जोर का झटका लगा। क्योंकि लोग 1000-500 के नोटों को काफी अहमीयत के साथ अपनी तिजारीयों में बंद करके रखते थे, वह अब रद्दी हो चले। सरकार द्वारा किए गए इस ऐलान के चंद घंटों में ही बाजार में जो नकदी थी, उनमें से करीब 86% अवैध हो गई थी, नोट बदलवाने के लिए लोगों को बैंकों की कतारों में खड़ा होना पड़ा था।
क्यों उठाया था सरकार ने यह कदम ?
भारत सरकार ने यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए ही उठाया था। नोटबंदी का मकसद नोट जब्त करना नहीं, बल्कि कैश को औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल करनेे के साथ ही बड़े पैमाने पर कैश रखने वाले लोगों को टैक्स सिस्टम के दायरे में लाना था।
नोटबंदी के बाद क्या फायदा और नुकसान :
देश में नोटबंदी के बाद से ही जीडीपी को तगड़ा झटका लगा, जो अबतक नहीं उबर पाया है।
नोटबंदी के बाद से डिजिटल पेमेंट में बढ़ोत्तरी आई।
कैशलेस लेन-देन की रफ्तार पहले 20 से 50 थी, अब 40 से 70 फीसदी बढ़ी है।
विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे कई लोग देश लूटकर व जनता का पैसा लेकर विदेश भाग गए।
तब से नोटबंदी हुई घोटालो के राज सामने आए, साथ ही बैंकों में भी घोटाले हुए।
देश की आर्थिक स्थिति बद से बदतर हालत में आ गई, मंदी की मार से लोग बेरोजगार हो गए।
किसानों को उनकी मेहनत का ही फल नहीं मिल रहा।
कामगारों को अपनी नौकरी बचाना मुश्किल हो गया।
यहां तक की व्यापार करना कठिन व कारोबार ठप पड़ गया।
क्या कहते है बैंको के आंकड़े ?
वहीं रिजर्व बैंक के ही आंकड़ों के मुताबिक, ''वित्त वर्ष 2016-17 में जहां 2000 के 638 जाली नोट पकड़ में आये थे, 2017-18 में इनकी संख्या बढ़कर 17,938 हो गई।''
अरबों और खरबों का कारोबार बंद- PM मोदी
वहीं केंद की मोदी सरकार का यह मानना है कि, ''नोटबंदी सफल रही, इससे एक लाख 30 हजार करोड़ रुपये उजागर हुए और हमने 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्तियों को जब्त किया। तीन लाख से ज्यादा फर्जी कंपनियों पर ताला लगा, जिससे एक-एक कमरे में चल रहा अरबों और खरबों का कारोबार बंद हो गया।''
इसके अलावा भाजपा के ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट सामने आया जिसमें लिखा- ''मोदी सरकार आर्थिक चूककर्ताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक युद्ध लड़ रही है और 2016 में पहला बड़ा कदम विमुद्रीकरण था। तब से आईटीआर की संख्या 2017-18 में बढ़कर 6.8 करोड़ हो गई, जो 2016-17 में 5.48 करोड़ थी, 25% की वृद्धि, 2017-18 से पहले 5 वर्षों में सबसे अच्छी वृद्धि दर है।''
मायावती ने किया ट्वीट-
गौर करने वाली बात हैै कि, आज नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक ने इसको लेकर काेेई ट्वीट तक नहीं किया, इसके अलावा भाजपा कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कोई टिप्पणी नहीं की, कांग्रेस, टीएमसी, बसपा-सपा द्वारा हमला बोले जाने पर भी भाजपा खामोश है।
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