15 साल बाद कोई मुख्यमंत्री उतरेगा चुनाव मैदान में
15 साल बाद कोई मुख्यमंत्री उतरेगा चुनाव मैदान मेंSocial Media

15 साल बाद कोई मुख्यमंत्री उतरेगा चुनाव मैदान में

उप्र के आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भाजपा का गोरखपुर शहर सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। पिछले 15 साल में योगी पहले मुख्यमंत्री हैं जो खुद चुनाव मैदान में किस्मत आजमाएंगे।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गोरखपुर शहर सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। पिछले 15 साल में योगी पहले मुख्यमंत्री हैं जो खुद चुनाव मैदान में किस्मत आजमाएगे। भाजपा ने 18वीं विधान सभा के लिए होने वाले चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों की शनिवार को दिल्ली में जारी पहली सूची में योगी का नाम शामिल करते हुए उन्हें गोरखपुर शहर सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। मौजूदा विधान सभा में योगी विधान परिषद सदस्य हैं।

उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव के इतिहास से पता चलता है कि 2007 से राज्य में कोई मुख्यमंत्री चुनाव जीत कर विधान सभा में नहीं पहुंचा। पिछले 15 साल में बने तीनों मुख्यमंत्री विधान परिषद के रास्ते विधान मंडल के सदस्य बने। समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2007 में 15वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में गुन्नौर सीट से चुनाव जरूर लड़ा था, लेकिन उस समय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के चुनाव जीतने के कारण मुलायम सिंह मुख्यमंत्री नहीं बन सके।

उस समय मुख्यमंत्री बनीं मायावती ने, लोकसभा सदस्य होने के कारण चुनाव नहीं लड़ा था। उन्होंने बतौर विधान परिषद सदस्य अपना कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद 2012 के चुनाव में बसपा की हार और सपा की जीत के बाद कन्नौज से सपा के तत्कालीन सांसद अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने। लेकिन, उन्होंने भी विधान परिषद के रास्ते ही विधान सभा पहुंचने का फैसला किया।

यही स्थिति 2017 में 17वीं विधानसभा के चुनाव में दोहराई गई, जब गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बने। योगी ने भी विधान परिषद सदस्य के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया। मगर अब इस परंपरा को तोड़ते हुए योगी अब अगला विधानसभा चुनाव गोरखपुर शहर सीट से लड़ेंगे।

उत्तर प्रदेश में अगर मुख्यमंत्रियों के चुनाव लड़ने का पिछले तीन दशक का इतिहास खंगालें तो पता चलता है कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने 1991 और 1997 में अतरौली से विधानसभा चुनाव जीता। वहीं 1989 और 1993 में मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह ने दोनों बार विधान सभा में जसवंतनगर सीट का प्रतिनिधित्व किया। जबकि 2003 में उन्होंने गुन्नौर से विधानसभा चुनाव लड़ा था। दरअसल मुलायम सिंह, 2003 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के समय किसी सदन के सदस्य नहीं थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने उपचुनाव में गुन्नौर सीट से चुनाव जीता था।

गौरतलब है कि बीते तीन दशक में चार बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले मुलायम सिंह ने अपना चुनावी सफर 1967 में मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव जीतकर शुरु किया था। वहीं चार बार मुख्यमंत्री बनी मायावती ने दो बार, 1997 और 2002 में सहारनपुर जिले की हरौड़ा विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा का रुख किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी 2000 और 2002 में बाराबंकी जिले की हैदरगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी।

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