चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब इकाई ने प्रदेश में निजी विक्रेताओं को 50 प्रतिशत डीएपी खाद बेचने का अधिकार देने के फैसले की निंदा करते हुये इसे किसानों व सहकारी कृषि समिति विरोधी करार दिया है। आप पार्टी की किसान विंग के अध्यक्ष और विधायक कुलतार सिंह संधवां ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह संघर्षरत किसानों को परेशान करने की साजिश के तहत केन्द्र के इशारे पर किसान विरोधी फैसले ले रहे हैं।
उन्होंने आज यहां कहा कि अमरिंदर सरकार केंद्र के बताए रास्ते पर चलकर पंजाब के सहकारी विभागों को बर्बाद कर रही है। इसलिए सहकारी कृषि समितियों द्वारा डीएपी उर्वरक की आपूर्ति (वितरण) के अधिकार को 30 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है और निजी डीलरों की आपूर्ति को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। श्री संधवां ने कहा कि कांग्रेस सरकार जानबूझकर डीएपी खाद को निजी हाथों में सौंपकर खाद माफिया पैदा करना चाहती है। सरकार के इस फैसले से न केवल खाद की कालाबाजारी बढ़ेगी, बल्कि किसानों के साथ लूट भी बढ़ जाएगी।
सरकार पंजाब में डीएपी खाद के गहरे संकट को लेकर गंभीर नहीं है, जिससे रबी मौसम में किसानों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। पंजाब को गेहूं की बुवाई और अन्य कामों के लिए 4.80 लाख टन खाद की जरूरत है, जबकि सितंबर तक केवल 75 हजार टन डीएपी खाद का भंडार है।
उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि सितंबर तक पंजाब ने केंद्र से केवल 1.5 लाख टन डीएपी खाद की मांग की है, जबकि उन्हें पता है कि पंजाब को तीन गुना से अधिक खाद की आवश्यकता है। इससे साफ है कि सरकार खुद पंजाब में खाद की किल्लत पैदा कर खाद माफिया को फायदा पहुंचाना चाहती है।
आप नेता ने कहा कि डीएपी खाद की बिक्री के मामले में निजी विक्रेताओं को अधिक छूट देने का निर्णय स्वयं कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाले कृषि विभाग ने लिया है जिससे साबित होता है कि कैप्टन सिंह केन्द्र के नक्शेकदम पर चलकर किसानों को परेशान करना चाहते हैं। उन्होंने मांग की है कि कैप्टन सरकार सहकारी कृषि समितियों को 80 प्रतिशत खाद आपूर्ति का अधिकार बहाल करे और गेहूं की बुवाई के लिए आवश्यक डीएपी खाद उपलब्ध कराये।
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