असदुद्दीन ओवैसी ने PFI पर प्रतिबंध का किया विरोध
असदुद्दीन ओवैसी ने PFI पर प्रतिबंध का किया विरोधSocial Media

असदुद्दीन ओवैसी ने PFI पर प्रतिबंध का किया विरोध और दिया यह रिएक्‍शन

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक के बाद एक किए गए कई ट्वीट में PFI पर बैन का विरोध किया और कहा कि, "इस तरह से बैन ठीक नहीं है।''

दिल्‍ली, भारत। मोदी सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) पर प्रतिबंध लगाएं जाने के फैसले के बाद इस मामले पर राजनीति शुरू हो गई है। एक के बाद एक नेताओं का रिएक्‍शन आ रहा है। कोई उनके इस फैसले का स्‍वागत कर रहा है तो कोई PFI पर बैन का विरोध कर रहा है। अब एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है।

वह PFI की विचारधारा का लगातार करते रहे है विरोध :

इस दौरान एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक के बाद एक किए गए कई ट्वीट में PFI पर बैन का विरोध किया और कहा कि, "वह पीएफआई की विचारधारा का लगातार विरोध करते रहे हैं, लेकिन इस तरह से बैन ठीक नहीं है।'' उन्‍होंने कहा- मैंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है। लेकिन पीएफआई पर इस प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है। अपराध करने वाले कुछ व्यक्तियों के कार्यों का मतलब यह नहीं है कि संगठन को ही प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना है कि किसी को दोषी ठहराने के लिए केवल किसी संगठन से जुड़ना पर्याप्त नहीं है। इस तरह का कठोर प्रतिबंध खतरनाक है, क्योंकि यह किसी भी मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी

सरकार पर साधा निशाना :

आगे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार को निशाने पर लेते हुए आगे यह भी कहा- जिस तरह से भारत का चुनावी निरंकुशता फासीवाद के करीब पहुंच रहा है, भारत के काले कानून, यूएपीए के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पैम्फलेट के साथ गिरफ्तार किया जाएगा। अदालतों द्वारा बरी किए जाने से पहले मुसलमानों ने दशकों तक जेल में बिताया है। मैंने यूएपीए का विरोध किया है और यूएपीए के तहत सभी कार्यों का हमेशा विरोध करूंगा। यह स्वतंत्रता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है, जो संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है।

  • हमें याद रखना चाहिए कि, कांग्रेस ने इसे सख्त बनाने के लिए यूएपीए में संशोधन किया और जब बीजेपी ने इसे और भी कठोर बनाने के लिए कानून में संशोधन किया, तो कांग्रेस ने इसका समर्थन किया।

  • यह मामला कप्पन की समय-सीमा का अनुसरण करेगा, जहां किसी भी कार्यकर्ता या पत्रकार को बेतरतीब ढंग से गिरफ्तार किया जाता है और जमानत पाने में भी 2 साल लगते हैं।

  • ओवैसी ने सवाल किया कि, पीएफआई पर प्रतिबंध कैसे लगा लेकिन खाजा अजमेरी बम धमाकों के दोषियों से जुड़े संगठन नहीं क्यों नहीं लगा? सरकार ने दक्षिणपंथी बहुसंख्यक संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया?

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