झांकी न दिखाने पर बंगाल व केंद्र सरकार में हो सकता है टकराव

वर्ष 2020 के गणतंत्र दिवस परेड समारोह में पश्चिम बंगाल की झांकी न दिखाने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार इन दोनों में टकराव की स्थिती बन सकती है।
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राज एक्‍सप्रेस। पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के मध्य नागरिकता संशोधन कानून (CAA), संभावित एनआरसी (NRC) और एनपीआर (NPR) इन तीनों मसले पर लगातार विवाद हो रहा है, ऐसे में अब पश्चिम बंगाल की झांकी (West Bengal Tableau) न दिखाने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार में टकराव की स्थिति बन सकती है।

क्‍यों नहीं दिखाई जाएंगी झांकी?

इस बार 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में पश्चिम बंगाल की झांकी को नहीं दिखाएं जाने का फैसला लिया गया है। दरअसल, रक्षा मंत्रालय की ओर से बुधवार को एक बयान भी सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि, बंगाल सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को विशेषज्ञ समिति ने दो बैठकों के बाद केंद्र ने इस प्रस्‍ताव को खारिज कर दिया है। साथ ही यह भी कहा कि, ''पश्चिम बंगाल सरकार की झांकी को इसी प्रक्रिया के तहत गणतंत्र दिवस परेड 2019 में भाग लेने के लिए ही चुना गया था।''

56 झांकियों के आए थे प्रस्ताव :

इस बार वर्ष 2020 के गणतंत्र दिवस परेड समारोह के लिए बंगाल की झांकियों के लिए कुल 56 झांकियों के प्रस्ताव भेजे गए थे। भेजे गए प्रस्‍तावों में से 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सिर्फ 22 प्रस्तावों और मंत्रालयों तथा विभागों की 6 झांकियों को ही 2020 की गणतंत्र दिवस परेड के लिए चुना गया, इसके लिए विशेषज्ञ समिति द्वारा 5 दौर की बैठक की गई।

इस थीम पर थे प्रस्‍ताव :

वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार के सूत्रों के मुताबिक यह बात की जानकारी भी सामने आई है कि, उनकी ओर से राज्य की झांकी में 'विकास कार्यों, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण' की थीम पर कई प्रस्ताव भेजे गए थे।

कैसे होता झांकियों का चयन?

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकी का चयन एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाता है। झांकी में 'कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला और नृत्यकला' से संबंधित व्यक्ति ही उपस्थित होते हैं और यह समिति प्रस्तावों पर विचार-विमर्श करके अपनी सिफारिश रक्षा मंत्रालय को भेजती है, फिर समय की विवशता को देखकर सीमित संख्या में ही झांकियों का चयन किया जाता है।

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