राज एक्सप्रेस। पार्टी की गिरती साख और अस्तित्व को बचाने के लिए कांग्रेस दोबारा अपनी ताकत झोंकना चाहती है। इसके लिए कई राज्यों में 3- 4 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में अब गठबंधन को लेकर कोई गलतियां भी दोहराना नहीं चाहती क्योंकि, लोकसभा चुनाव 2019 में वह इसका खामियाजा पहले ही भुगत चुकी है। हरियाणा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी। दिल्ली में हालिया लोकसभा चुनाव के दिनों आम आदमी पार्टी ने भी गठबंधन को लेकर पूरी ताकत लगा दी थी, मगर कांग्रेस अंततः नहीं पिघली, लेकिन अब कांग्रेस को किसी से गठबंधन करने में गुरेज नहीं। कहते हैं कि, भाजपा को रोकने के लिए वह हर समझौते पर बातचीत कर सकती है, यानी पार्टी हर राज्य में गठबंधन पर अपना दाव लगा सकती है।
सोचा न था ऐसी होगी हालत :
पार्टी के नेता तो दूर कार्यकर्ताओं ने भी नहीं सोचा था कि, कांग्रेस पार्टी की ऐसी हालत होगी, करीब 6 दशक से देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी वर्ष 2014 से लगातार पतन की ओर चलती गई। इस बीच कांग्रेस के दिग्गज भी शायद यह नहीं समझ पाए कि, गठबंधन धर्म नहीं निभाकर उसने गलती कर दी। वहीं भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान को पार्टी ने हल्के में लिया जिसका नतीजा आज सबके सामने है। 2018 के अंत में हालांकि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जीतकर यह समझ लिया था कि दोबारा मजबूती के साथ आ रही है लेकिन जब 2019 में लोकसभा चुनाव के परिणाम आए तो सारी गणित ही फेल हो गई।
गठबंधन पर अब सख्त नहीं :
राहुल गांधी के बाद फिर से जब सोनिया गांधी के हाथों कांग्रेस की कमान आईं है तो, यह संभावना बनने लगी है कि, अब कुछ ठीक-ठाक होगा। कई विपक्षी दलों से निकटता बढ़ने लगी है। कहा जा रहा है कि, कांग्रेस भी मजबूरी में गठबंधन के बिना बेहतर ढंग से नहीं चल सकती। ऐसे में जिन राज्यों में कभी कांग्रेस ने दूसरे दलों से हाथ नहीं मिलाया था, वहां अब हाथ मिलाने को तैयार दिख रही है। कांग्रेस भी हर राज्य में भाजपा को रोकने के लिए किसी भी दल से समझौता कर सकती है। कांग्रेस का मकसद केवल पश्चिम बंगाल या महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि दिल्ली, हरियाणा या अन्य राज्यों में भी कांग्रेस भाजपा को उखाड़ फेंकने की रणनीति पर काम कर रही है, फिलहाल उसे सत्ता का मोह से ज्यादा इस मकसद पर काम करना प्राथमिकता है।
खास मुद्दा भी नहीं छोड़ा :
पार्टी की ऐसी हालत दिख रही है कि, उसके लिए कई मुद्दों को भी मोदी सरकार ने छीन लिया है। कहा जा रहा है कि, भारतीय जनता पार्टी का विरोध करने के लिए कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में धारा 370 का विरोध कर रही है। कांग्रेस के ही कई नेताओं का इस विषय में अलग-अलग सोच है। वैसे भी कांग्रेस की नीतियों से ज्यादा असर भाजपा के विरोध का रहा है, मगर अब कांग्रेस भाजपा को रोकने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार दिख रही है।
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