ABG Shipyard Case : देश में कई बार कई घोटालेबाजी के मामले सामने आए हैं, लेकिन इस बीच ताजा बैंक घोटाले का जो मामला सामने आया है, वो देश में बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है और इस बार यह घोटाला जहाज निर्माण कंपनी ABG शिपयार्ड द्वारा किया गया, जिसके कारण सीबीआई की ओर से बैंक धोखाधड़ी मामले में ABG शिपयार्ड (ABG Shipyard) लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
राहुल गांधी का PM मोदी पर तंज :
इस बीच एबीजी शिपयार्ड केस को लेकर कांग्रेस के नेता द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज भी कसे जा रहे हैं। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ट्वीट आया, जिसमें उन्होंने लिखा- मोदी काल में अब तक 5,35,000 करोड़ के बैंक फ़्रॉड हो चुके हैं- 75 सालों में भारत की जनता के पैसे से ऐसी धांधली कभी नहीं हुई। लूट और धोखे के ये दिन सिर्फ़ मोदी मित्रों के लिए अच्छे दिन हैं।
तो वहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ''मोदी मॉडल- लूटो और भगाओ! तीन तथ्य देश के सामने हैं। मोदी सरकार के 7 साल में ₹5,35,0000 करोड़ के बैंक फ्रॉड हुए। ₹8,17,000 करोड़ देश की जनता के बैंकों ने बट्टे खाते में डुबाये। ₹21,00,000 करोड़ बैंकों के NPA में इजाफा हुआ। लूटो भगाओ बैंक लूटवाओ।''
ABG शिपयार्ड और मोदी सरकार… CM मोदी के राज में… ABG शिपयार्ड को कौड़ियों के भाव जमीनें दी जाती हैं। 'वाइब्रेंट गुजरात' में CM अपने साथ बिठाते और द. कोरिया ले जाते हैं। ये रिश्ता क्या कहलाता है...
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला
क्या है मामला :
मामला यह है कि, जहाज निर्माण कंपनी व उसके निदेशकों पर एसबीआई के नेतृत्व वाले 28 बैंकों के समूह से 22,842 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी का आरोप है। एबीजी समूह की शिपयार्ड कंपनी गुजरात के दाहेज और सूरत में है, जो पानी के जहाज बनाने और उनकी मरम्मत का काम करती है। अभी तक इस कंपनी द्वारा 165 जहाज बनाएं जा चुके है। इस दौरान अधिकारियों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, ''एबीजी पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ को कथित रूप से धोखा देने का आरोप है। इस घोटाले को देश में बैंकिंग इतिहास तक का सबसे बड़ा घोटाला इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह नीरव मोदी से भी बड़ा घोटाला है।''
अधिकारी ने यह भी कहा है कि, ''कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी थी। फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि, वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया, जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है।''
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