गहलोत के इस्तीफे के बाद भी पायलट का मुख्यमंत्री बनना आसान नहीं, सबसे बड़ी बाधा है ये पांच चीजें
राज एक्सप्रेस। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दावेदारी की खबरों के बीच अब राजस्थान की सियासत भी गरमा गई है। दरअसल गुरुवार को राहुल गांधी ने ‘एक व्यक्ति एक पद’ को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की। जिसके बाद माना जा रहा है कि अगर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि अशोक गहलोत के इस्तीफे के बाद राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? हालांकि फ़िलहाल सचिन पायलट इस रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं, लेकिन कुछ बातें हैं जो उनके मुख्यमंत्री बनने की राह में बड़ी बाधा हैं।
अशोक गहलोत :
सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने की राह में सबसे बड़ी बाधा वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच अदावत किसी से छिपी नहीं है। गहलोत पहले तो खुद ही मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं,लेकिन उन्हें इस्तीफा देना भी पड़ा तो वह अपने किसी विश्वासपात्र को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहेंगे।
विधायकों का समर्थन :
साल 2020 में जब सचिन पायलट ने बगावती रुख अपनाया था, तब उनके साथ करीब 20 विधायक ही थे। आज भी ज्यादातर विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही हैं। ऐसे में पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अगर विधायक दल की बैठक में वोटिंग होती है तो नतीजा उनके खिलाफ जा सकता है।
बगावत का कलंक :
वैसे तो कांग्रेस ने सचिन पायलट की अध्यक्षता में ही साल 2018 में राजस्थान विधानसभा का चुनाव जीता था। लेकिन उन्होंने साल 2020 में जिस तरह से अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत की, इससे उनकी वफादारी पर प्रश्न चिन्ह जरूर लग चुके हैं।
गुर्जर बनाम मीणा :
राजस्थान में गुर्जर समुदाय और मीणा समुदाय के बीच राजनीतिक तनातनी रहती है। सचिन पायलट गुर्जर समुदाय से आते हैं, जो भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने से गुर्जर वोटरों के बीच भले ही अच्छा संदेश जाए, लेकिन मीणा समुदाय के वोटर कांग्रेस से दूर हो सकते हैं।
संगठन पर कमजोर पकड़ :
अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावती रूख अपनाने के चलते सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद के साथ राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया था। उसके बाद से ही सचिन पायलट के पास सरकार और संगठन में कोई पद नहीं है। इसके चलते पिछले कुछ समय में सचिन पायलट की संगठन पर पकड़ कमजोर हुई है।
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