राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2018 के परिणाम सामने आने के बाद प्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार की विदाई हुई एवं कांग्रेस की सरकार बनी। तभी से यह सियासी खेल चला आ रहा है, जो अब तक जारी रहा और लास्ट में जाकर MP के CM कमलनाथ से नाराज होकर आखिरकार सिंधिया राजघराने के महाराज ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया’ ने भाजपा में एंट्री कर ली है, कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ने के बाद से ही सियासी गलियारों में फुसफुसाहट होने लगी। ऐसे में मध्यप्रदेश की राजनीति में क्या समीकरण बनते हैं एवं आगे क्या होगा आइये जानते हैं।
बता दें कि, विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों में कांटे की टक्कर देखी गई थी और मात्र 2 सीटों के कारण भाजपा प्रदेश में अपनी सरकार बनाने में नाकाम रही थी। ऐसे में अब 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस और बीजेपी में कुछ इस तरह सियासी समीकरण बनेंगे, जो आप यहां समझ सकते हैं।
MP विधानसभा का सत्ता समीकरण :
मध्यप्रदेश में 228 विधायकों में से अगर सिंधिया समर्थक 22 विधायकों की संख्या को विधासनभा की कुल सीटों में से घटा (228-22) दें, तो सीटें 206 हो रही है, वहीं कांग्रेस के 114 में से 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की संख्या 92 हो जाएगी। कांग्रेस को 4 निर्दलीय, 2 बीएसपी व 1 एसपी ये 7 विधायक समर्थन दे रहे हैं, अगर इनका समर्थन बना रहा तो कांग्रेस की संख्या 99 हो जाएगी।
क्या है बहुमत का आंकड़ा?
ऐसी स्थिति में बहुमत के आंकड़े की बात करें तो इसके लिए 104 सीटों की जरूरत है, जो भाजपा के लिए काफी सुनहरा मौका है, क्योंकि भाजपा के पास बहुमत के लिए केवल बहुमत से अधिक सिर्फ 3 सीट यानी 107 हैं (107-3=104) एवं बहुमत का आंकड़ा है-104
कांग्रेस को 7 विधायक के समर्थन के साथ उसके पास 99 का आंकड़ा बन रहा है, लेकिन बहुमत के लिए 104 सीटों की जरूरत होगी और कांग्रेस के पास बहुमत के आंकड़े से 5 सीटें कम हैं। वहीं बिना समर्थन के उसके 92 विधायक हैं।
क्या कमलनाथ सरकार का शासन रहेगा कायम :
MP में सिधिंया समर्थक 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद से कमलनाथ सरकार का शासन यूं ही खत्म नहीं होगा या तो कमलनाथ मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दें या फिर सदन में बहुमत साबित न कर पाएं। इन्हीं स्थितियों में MP की कमलनाथ सरकार अपनी सत्ता गंवा सकती है।
क्या होंगे चुनाव ?
यदि MP विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 230 में से आधे से अधिक इस्तीफा होते हैं, तो सियासी आंकड़े व इन स्थितियों को देखते हुए अब राज्यपाल के हाथ में है कि, वह सदन को भंग कर मध्यावधि चुनाव कराएगी या फिर खाली सीटों पर उपचुनाव! इस पर अभी आशंका है एवं कुछ कहा नहीं जा सकता।
किसके लिए कौन से चुनाव होंगे फायदे :
अगर राज्यपाल उपचुनाव कराती है, तो इस दशा में भाजपा को फायदा होगा, क्योंकि राज्यपाल उसे सरकार बनाने का मौका देंगे और राज्यपाल का न्योता मिलते ही बीजेपी तुरंत सरकार बनाएगी और विधानसभा में आसानी से बहुमत भी साबित कर लेगी।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस का जोर तो मध्यावधि चुनाव पर ही रहेगा, क्योंकि उसके लिए यह फायदे का होगा।
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