राज एक्सप्रेस। आज शायद ही कोई ऐसा हो जो विजय माल्या को नहीं जानता होगा। 17 भारतीय बैंकों से 9,000 करोड़ से अधिक का कर्ज लेकर गायब हुए किंगफिशर के मालिक विजय माल्या को स्कॉटलैंड यार्ड की वेस्टमिंस्टर कोर्ट के आदेश पर साल 2018 में अप्रैल में मात्र तीन घंटे के लिए गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद से माल्या जमानत पर छूट कर अपने लन्दन वाले घर में ही रह रहा है। इन दिनों एक बार फिर माल्या और उसकी सम्पत्ति चर्चा में है। दरअसल बैंकों को अब माल्या की जप्त संपत्ति बेचकर कर्ज वसूलने की अनुमति मिल गई है।
क्यों हैं चर्चा में :
भारत से भगोड़ा घोषित कर दिए गए विजय माल्या के पास करोड़ों की सम्पत्ति थी, जिसे सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया था। अब स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) सहित अन्य कई बैंकों को प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के स्पेशल कोर्ट द्वारा उसी संपत्ति को बेच कर अपना कर्ज वसूलने की अनुमति मिल गई है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी सहमति जताते हुए कहा कि, यदि बैंक अपना कर्ज इस तरह वसूलते है तो, उसे इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी।
फैसला कोर्ट में सुरक्षित :
साल 2019 के दिसंबर माह में ही विजय माल्या से जुड़े मुद्दे पर फैसला ले लिया गया था, जो लंदन कोर्ट में सुरक्षित रख लिया गया था। हालांकि यह फैसला अभी सबको नहीं पता है, इसकी सुनवाई जनवरी में होने की उम्मीद लगाई जा रही है। इसके अलावा विजय माल्या पर लगी दिवालिया घोषित होने वाली याचिका को दोबारा खारिज या रद्द किया जा सकता है। यदि ऐसा नहीं होता है तो, उम्मीद यह है कि, जब तक भारतीय सुप्रीम कोर्ट माल्या सेटेलमेंट ऑफर से जुड़ा कोई उचित फैसला नहीं ले लेती, तब तक इस याचिका के स्थगित होने के पूरे-पूरे चांस हैं। इस मुद्दे पर UK (लंदन) कोर्ट भारतीय नियमों की योग्यता पर विचार कर सकता है।
बैंकों द्वारा ब्रिटेन के हाई कोर्ट से अपील :
भगोड़े विजय माल्या को दिवालिया घोषित करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व में सभी भारतीय सरकारी बैंकों द्वारा ब्रिटेन के हाई कोर्ट से करीब 1.145 अरब पाउंड का कर्ज न चुकाने की अपील की गई। जिसकी सुनवाई लंदन में उच्च न्यायालय की दिवाला शाखा में न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स के द्वारा करी गई थी। जिस पर माल्या के वकीलों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि, ' इसका फैसला केवल डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल द्वारा ही लिया जा सकता था।' फिलहाल इस मामले पर अभी 18 जनवरी तक के लिए स्टे लग गया है जिससे माल्या को बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील करने के लिए समय मिल गया है।
माल्या को वापस लाना एक बड़ी चुनौती :
भगोड़ा घोषित कर दिए शराब व्यापारी विजय माल्या 2016 में लंदन भाग गया था और तब से उसे वापस लाना भारत सरकार और भारतीय जांच एजेंसियों के लिए चुनौती बन गया है। केंद्र सरकार और भारतीय जांच एजेंसियां लगातार माल्या को वापस लाने के प्रयासों में जुटी हुई हैं, हालांकि उनके हाथ अभी तक सफलता नहीं लगी है।
क्या था पूरा मामला (शार्ट में) :
एक समय था जब, विजय माल्या की गिनती देश के बड़े बिजनेसमैनों में होती थी। माल्या का किंगफिशर एयरलाइंस और शराब का बिजनेस था। किंगफिशर एयरलाइंस की स्थापना वर्ष 2003 में हुई थी। तेल के रेट बढ़ने, ज्यादा टैक्स और खराब इंजन के चलते उनकी किंगफिशर एयरलाइन्स को 6,107 करोड़ का घाटा उठाना पड़ा। 2005 में इसका कमर्शियल ऑपरेशन शुरू हुआ। उस दौर में प्रीमियम सेवाओं में इसका कोई तोड़ नहीं था। कंपनी ने इसके लिए भारी अमाउंट खर्च कर दिया, जिससे उसे कॉस्ट निकालना मुश्किल हो रहा था।
ऐसे में कंपनी ने देश की एक लो कॉस्ट एविएशन कंपनी खरीदने की कोशिशें शुरू कर दीं। यह कोशिश 2007 में कामयाब भी हुई माल्या ने 2007 में करीब 1200 करोड़ रुपये में एयर डेक्कन को खरीदा। माल्या के इसी कदम ने माल्या को बिजनेसमैन से भगोड़ा बनने पर मजबूर कर दिया। इस तरह माल्या पर बैंको का 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज होता चला गया। मार्च 2016 में विजय माल्या चुपचाप देश छोड़कर लंदन भाग गया और काफी समय तक गायब रहा। उसके बाद साल 2018 अप्रैल में उसे लंदन से गिरफ्तार किया गया था।
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