धार्मिक स्थलों की सुरक्षा-पवित्रता के लिए जैन समाज को सड़क पर उतरना पड़ रहा, यह चिन्ता की बात है: मायावती
उत्तर प्रदेश, भारत। देश में किसी न किसी राज्य में कुछ न कुछ मुद्दों पर विवाद होता रहता है। अब झारखंड सरकार की ओर से जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के फैसले पर देशभर में विवाद छिड़ा हुआ है और मामले में जैन समाज के लोग देश भर में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच अब उन्हें कुछ राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी मिल रहा है।
झारखंड के गिरिडीह जिले की पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित के विवाद एवं विरोध-प्रदर्शन के बीच बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की ओर से समर्थन मिला है, इस दौरान आज बुधवार को सुबह बसपा प्रमुख मायावती ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट जारी कर कहा है कि, ''अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व पवित्रता के लिए जैन समाज के लोगों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है, यह अति दुख और चिन्ता की बात है।''
इतना ही नहीं बसपा प्रमुख मायावती ने एक अन्य ट्वीट में यह भी लिखा- केन्द्र व राज्य सरकारें टूरिज़्म के विकास आदि को बढ़ावा देने के नाम पर कमर्शियल दृष्टिकोण से जिन गतिविधियों को अंधाधुंध बढ़ावा दे रही हैं उससे श्रद्धालुओं में खुशी कम व असंतोष ज्यादा है। सरकारें धर्म की अध्यात्मिकता तथा धार्मिक स्थलों की पवित्रता बरकरार रखे तो बेहतर।
अधिसूचना को निरस्त करने की मांग पर अड़े जैन समाज के लोग :
बता दें कि, झारखंड सरकार की ओर से जैन धर्म के पवित्र तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसले को वापस लेने की मांग के लिए जैन समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे है। एक तरफ झारखंड सरकार सम्मेद शिखरजी को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में घोषित करने को तैयार है। तो वहीं, जैन समाज 2019 में राज्य सरकार की ओर से जारी उस अधिसूचना को निरस्त करने की मांग पर अड़ा हुआ है,जिसके तहत पारसनाथ को अंतरराष्ट्रीय महत्व का पर्यटन स्थल घोषित किया गया है।
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