मायावती ने केंद्र और राज्य सरकार से माफी मांगने को कहा
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संविधान दिवस पर मायावती ने केंद्र और राज्य सरकार से माफी मांगने को कहा

BSP सुप्रीमो मायावती ने आज केन्द्र और राज्य सरकारों पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में कमजोर एवं वंचित वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं देने का आरोप लगाते हुए दिया यह बड़ा बयान...

उत्‍तर प्रदेश, भारत। आज 26 नवबंर को संविधान दिवस है, इस अवसर पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने अपना बयान जारी किया, जिसमें उन्‍होंने केंद्र और राज्य सरकारें से कमजोर और वंचित वर्ग से माफी मांगे जाने की बात कही है।

सरकार को इन वर्गाें के लोगों से माफी माँगनी चाहिये :

दरअसल, बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने आज शुक्रवार को केन्द्र और राज्य सरकारों पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में कमजोर एवं वंचित वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं देने का आरोप लगाते हुये कहा कि, "संविधान दिवस के मौके पर सरकार को इन वर्गाें के लोगों से माफी माँगनी चाहिये और अपनी इस कमी को जल्दी ही दूर करना चाहिये।"

बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान में देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के लोगों को विशेषकर शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण व अन्य और जरूरी सुविधाओं का प्रावधान किया है, मगर अब तक उसका पूरा लाभ इन वर्गों के लोगों को नहीं मिल पा रहा है।

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती

केन्द्र व राज्यों की सरकारें संविधान का पालन नहीं कर रही :

सुश्री मायावती ने आगे यह भी कहा- एससी/एसटी व ओबीसी वर्गों का ज्यादातर विभागों में आरक्षण का कोटा अधूरा पड़ा है, जिसको लेकर पीड़ित लोग आए दिन सड़को पर धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं। इन वर्गाें के लिए प्राइवेट सेक्टर में अभी तक भी आरक्षण देने की कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है। साथ ही अभी तक भी केन्द्र व राज्य सरकारें इस मामले में कोई भी कानून बनाने के लिए तैयार नहीं हैं। केन्द्र व राज्यों की सरकारें संविधान का पालन नहीं कर रही है, ऐसे में उन्हे संविधान दिवस मनाने का कतई भी नैतिक अधिकार नहीं है, बल्कि ऐसी सरकारों को आज इस मौके पर इन वर्गाें के लोगों से माफी माँगनी चाहिये और अपनी इस कमी को जल्दी ही दूर भी करना चाहिये।

  • इन वर्गों के लोगों को सपा जैसी उन पार्टियों से भी जरूर सावधान रहना चाहिये जिसने एससी व एसटी का आरक्षण सम्बन्धी बिल संसद में फाड़ दिया था और बिल को फिर षड्यंत्र के तहत पास भी नहीं होने दिया गया।

  • देश में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। संविधान में इन सबकी तरक्की व उनके जान-माल की सुरक्षा के लिए भी जो भी कानून बने हैं उनका भी सही से केन्द्र व राज्यों की सरकारों द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है। सभी सरकारें इस ओर भी जरूर ध्यान दें।

  • संविधान दिवस के मौके पर आज किसानों के आन्दोलन का भी एक वर्ष पूरा हो गया है। केन्द्र सरकार ने अभी हाल ही में इनके तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया है। इनको यह कदम बहुत पहले ही उठा लेना चाहिये था तो यह ज्यादा बेहतर होता। लेकिन किसानों की अन्य और भी कई जरूरी माँगें हैं उन्हें भी केन्द्र सरकार को स्वीकार कर लेना चाहिये।

  • आज 'संविधान दिवस' के मौके पर केन्द्र व सभी राज्य सरकारें इस बात की गहन समीक्षा करें कि, क्या वे संविधान का पूरी ईमानदारी व निष्ठा से सही पालन कर रहीं हैं। उनकी पार्टी ने आज केन्द्र व राज्यों की सभी पार्टियों की सरकारों के भी इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फैसला लिया है।

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